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Gig Workers Strike: क्या Blinkit–Zepto की 10 मिनट डिलीवरी पर लगेगा ब्रेक? गिग वर्कर्स की हड़ताल से बढ़ी कंपनियों की मुश्किल

by | Dec 30, 2025 | ख़बर, ट्रेंडिंग, बड़ी खबर, मुख्य खबरें

Gig Workers Strike: भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही 10 मिनट डिलीवरी सर्विस एक बार फिर विवादों में आ गई है। Blinkit, Zepto और अन्य क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ गिग वर्कर्स यूनियनों ने मोर्चा खोल दिया है। यूनियनों का आरोप है कि “फास्ट डिलीवरी” के नाम पर डिलीवरी पार्टनर्स की सुरक्षा, वेतन और अधिकारों से समझौता किया जा रहा है। इसी को लेकर 31 दिसंबर को देशभर में App Bandh यानी ऐप आधारित सेवाओं की हड़ताल का ऐलान किया गया है।

गिग वर्कर्स यूनियनों का कहना है कि 10 मिनट डिलीवरी का लक्ष्य अव्यवहारिक और खतरनाक है। समय की सख्ती के कारण डिलीवरी एजेंट्स को तेज रफ्तार, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी और जोखिम भरे हालात में काम करना पड़ता है। यूनियनों के अनुसार, देरी की वजह चाहे रेस्टोरेंट हो, स्टोर हो या ग्राहक—जुर्माना और सजा हमेशा डिलीवरी पार्टनर को ही भुगतनी पड़ती है।

इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFAT) और गिग एवं प्लेटफॉर्म सेवा श्रमिक संघ सहित कई संगठनों ने New Year’s Eve पर देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इससे पहले 25 दिसंबर को हुई हड़ताल के दौरान दिल्ली-NCR और गुरुग्राम के कुछ इलाकों में डिलीवरी सेवाएं प्रभावित हुई थीं। यूनियनों का मानना है कि 31 दिसंबर को ऑर्डर की मांग अधिक होने के कारण यह हड़ताल ज्यादा असरदार साबित हो सकती है, खासकर बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में।

यूनियनों की मुख्य मांग है कि ऐप-आधारित कंपनियों को श्रम कानूनों के दायरे में लाया जाए। इसके अलावा 10 मिनट डिलीवरी मॉडल पर रोक, मनमाने ID ब्लॉक, जुर्माना प्रणाली खत्म करने और पारदर्शी पेमेंट सिस्टम लागू करने की मांग की जा रही है। गिग वर्कर्स सोशल सिक्योरिटी, बीमा, न्यूनतम वेतन और सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार की भी मांग कर रहे हैं। इस संबंध में श्रम मंत्रालय को भी पत्र भेजा गया है।

हालांकि कई डिलीवरी पार्टनर हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन ब्लैकलिस्ट और अकाउंट सस्पेंड होने का डर उन्हें खुलकर सामने आने से रोक रहा है। यूनियन नेताओं का कहना है कि कई वर्कर्स विरोध करना चाहते हैं, लेकिन कंपनियों की सख्त नीतियों के चलते चुप हैं। एजेंट्स का आरोप है कि हर छोटी गलती पर उनका अकाउंट बंद कर दिया जाता है, जिससे उनकी रोज़ी-रोटी खतरे में पड़ जाती है।

31 दिसंबर की हड़ताल का असर सिर्फ कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा। कई रेस्टोरेंट और फूड आउटलेट्स को डिलीवरी में बाधा की आशंका है। छोटे होटल अपने कर्मचारियों से डिलीवरी कराने की योजना बना रहे हैं, लेकिन बड़े ब्रांड्स के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है। वहीं, ग्राहकों को भी देर से डिलीवरी या सीमित सेवाओं का सामना करना पड़ सकता है।

फिलहाल सरकार की ओर से किसी बैन की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन बढ़ते दबाव और हड़तालों के चलते यह मॉडल जांच के दायरे में आ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में कंपनियों को सुरक्षा और श्रमिक अधिकारों को प्राथमिकता देते हुए अपने डिलीवरी मॉडल में बदलाव करना पड़ सकता है।

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