दिल्ली के उप-राज्यपाल ने अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ CRPC की धारा 196 के तहत मुकदमा चलाने को मंजूरी दी है. जानकारी के अनुसार, इन दोनों के खिलाफ IPC की धारा 153A, 153B और 505 के तहत मामला दर्ज करने का आदेश नई दिल्ली के मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट ने 27 नवंबर 2010 को दिया गया था, जिसके बाद FIR दर्ज की गई थी.
जानकारी के अनुसार, प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए LG विनय कुमार सक्सेना ने माना कि, दिल्ली में एक सार्वजनिक समारोह के दौरान अरुंधति रॉय और केंद्रीय विश्वविद्यालय, कश्मीर के अंतर्राष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ. हुसैन की तरफ से दिए गए भाषणों के लिए इंडियन पीनल कोर्ट की धारा 153A (जाति, धर्म, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 153B (राष्ट्रीय-अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने डालना) और 505 (शरारतपूर्ण बयान देना) के तहत मामला बनता है.
दोषी बनाने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी ली जाती है
जानकारी के अनुसार, दंड प्रक्रिया संहिता (IPC) की धारा 196(1) के तहत, कुछ अपराधों जैसे नफरत फैलाने वाले भाषण, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचान, घृणा अपराध, राजद्रोह, राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ना, दूसरों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना आदि मामलों में दोषी बनाने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी ली जाती है.
विभिन्न लोगों और वक्ताओं के खिलाफ क्या आरोप हैं?
जानकारी के मुताबिक़, कश्मीर के एक सामाजिक कार्यकर्ता सुशील पंडित ने बीते कुछ साल पहले 21 अक्टूबर 2010 को, आज़ादी – ‘द ओनली वे’ के विषय पर कमेटी फॉर रिलीज ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स की तरफ से आयोजित एक सम्मेलन में भड़काऊ भाषण देने में शामिल विभिन्न लोगों और वक्ताओं के खिलाफ तिलक मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी. मिली जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि जिस मुद्दे पर चर्चा और प्रचार किया गया वह ‘कश्मीर को भारत से अलग करना’ था, भाषण भड़काऊ थे, जो की शांति और सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने वाले थे.