Atal Bihari Vajpayee: आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 7वीं पुण्यतिथि है। 16 अगस्त 2018 को 93 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कई बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। अटल जी सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक कवि, पत्रकार और सच्चे देशभक्त भी थे। आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें, जो उन्हें हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रखती हैं।
तीन बार प्रधानमंत्री बने
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। पहली बार 1996 में सिर्फ 13 दिन के लिए, फिर 1998 में 8 महीने के लिए और इसके बाद 1999 में पूरे 5 साल का कार्यकाल उन्होंने सफलतापूर्वक पूरा किया। उनके नेतृत्व में भारत ने कई बड़े फैसले लिए।
बचपन से ही देशभक्ति का भाव
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्यप्रदेश में हुआ था। वह बचपन से ही देशभक्त थे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया था। शुरुआत में उन्होंने पत्रकारिता को अपना करियर बनाया, लेकिन फिर राजनीति में आ गए।
भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक नेताओं में से एक
अटल जी ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना में अहम भूमिका निभाई और इसके पहले अध्यक्ष भी बने। उन्होंने पार्टी को नई दिशा दी और एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) जैसे मजबूत गठबंधन को खड़ा किया। 2015 में उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया गया।
12 बार बने सांसद
अटल बिहारी वाजपेयी 12 बार सांसद रहे, जिनमें से 10 बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की और 2 बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। यह अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है।
चार राज्यों की 6 सीटों से चुनाव लड़ा और जीते
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में चार अलग-अलग राज्यों की 6 लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा और सभी जगह जीत हासिल की। ये सीटें थीं – लखनऊ और बलरामपुर (उत्तर प्रदेश), गांधीनगर (गुजरात), ग्वालियर और विदिशा (मध्य प्रदेश), और नई दिल्ली (दिल्ली)। ऐसा कर पाने वाले वो देश के पहले और अकेले नेता रहे।
पोखरण परमाणु परीक्षण और कारगिल युद्ध
1998 में अटल जी के नेतृत्व में पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया, जिससे भारत ने पूरी दुनिया को अपनी ताकत का एहसास कराया। इसके बाद 1999 में कारगिल युद्ध हुआ, जिसमें भारत ने साहस और शक्ति का परिचय दिया। अटल जी के मजबूत नेतृत्व में भारत ने यह जंग जीती और दुनिया को बताया कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता से कभी समझौता नहीं करेगा।