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सावधान! बैठने के गलत तरीके, खानपान और मोबाइल के अधिक उपयोग से युवाओं में बढ़ रहा स्पाइन का दर्द

by | Oct 17, 2023 | ट्रेंडिंग, देश, बड़ी खबर, मुख्य खबरें

नए ज़माने के बदलते लाइफ स्टाइल और खानपान का बुरा असर अब हड्डियों और जोड़ों पर पड़ रहा है. आपको बता दें, लोगों की हड्डियां कमजोर हो रही है वो भी  खासकर रीढ़ की हड्डी, बदलते जीवन-शैली और उठने-बैठने के गलत तरीके, मोबाइल और लैपटॉप के अधिक उपयोग से लोगों में इस तरह की खतरनाक बिमारियां देखी जा रही हैं. आपको बता दें, इस समस्या से लोगों को जागरूक करने के लिए ‘फेलिक्स हॉस्पिटल’ में ‘वल्र्ड स्पाइन डे’ के अवसर पर डॉक्टर टॉक का आयोजन किया गया है, जिसका मुख्य मकसद लोगों को स्पाइनल हेल्थ के लिए जागरूक करना है.

दर्द और तकलीफ को नजर-अंदाज न करें

फेलिक्स अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट ‘डॉ सुमित शर्मा’ ने बताया है कि, कई लोग स्पाइन में होने वाले दर्द और तकलीफ को नजर-अंदाज कर देते हैं, जिसके कारण स्पाइनल कॉर्ड डैमेज हो सकती है, जिसकी वजह से अर्थराइटिस, डिस्क प्रॉब्लम, हर्निएटेड डिस्क, कमर दर्द, स्कोलाइसिस, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं. शरीर के हर अंग की अपनी विशेष खासियत होती है और  इन्हीं में से एक हैं स्पाइन या बैकबोन, इसके सहारे के बिना लोग एक पल भी खड़े नहीं हो सकते, पैरों से ज्यादा आपकी रीढ़ की हड्डी मूवमेंट के लिए जिम्मेदार होती है, लेकिन रोजमर्रा के जीवन में हम अकसर इसे नजरंदाज कर दते हैं, कभी-कभी भारी सामान उठाना, गलत मुद्रा में बैठना या लेटना, लंबे समय तक झुक कर काम करना, आदि कुछ ऐसी आदतें हैं जो की आपके स्पाइन को नुकसान पहुंचा सकती हैं. कूबड़ निकाल कर या बहुत ज्यादा झुक कर बैठना रीढ़ की हड्डी के प्राकृतिक संरेखण को प्रभावित करता हैं, इससे पीठ के निचले हिस्से पर अधिक दबाव पड़ता है और स्पाइन में दर्द शुरू हो सकता है,

रोजमर्रा की गतिविधियां में बदलाव लायें

इसलिए हर आधे घंटे में अपने सिर और गर्दन को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे और दाएं-बाएं घुमाएं. प्रभावित क्षेत्र पर आइस पैक या हीटिंग पैड लगाएं, अगर दर्द दूर नहीं होता है, तो अपने डॉक्टर से मिलें. रोजमर्रा की गतिविधियां जैसे सीढिय़ां चढऩा, पैदल चलना डिस्क को मजबूत और लचीला बनाता है, इन गतिविधियों की कमी से आपको रीढ़ की हड्डी से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं, रीढ़ की हड्डी को मजबूत रखने के लिए कैल्शियम युक्त आहार का सेवन करना बहुत जरूरी है. प्रोटीन व कैल्शियम से भरपूर आहार ऑस्टियोपरोसिस जैसी बीमारी के जोखिम से बचाता हैं, विटामिन डी हड्डियों को मजबूत रखता हैं, इसलिए हर रोज सुबह थोड़ी देर धूप में बिताएं, ज्यादा पानी का सेवन नए सेल्स और टिश्यू को लचीला बनाने में मदद करता है. योग मुद्रा का नियमित अभ्यास कर सकते हैं, चलने, साइकिल चलाने या तैराकी जैसे व्यायाम भी रीढ़ की हड्डियों के बीच डिस्क की रक्षा करने में मदद कर सकते हैं.

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