मायावती ने 7 अक्टूबर को कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टयों पर आरोप लगाया हैं कि वह चुनावी माहौल को लोक लुभान के वादे कर अपनी और खींचते है। आखिर चुनाव से पहले पार्टियों को लोक लुभान के वाडे करने की क्या आवश्यकता है। मायावती ने अब तक NDA और I.N.D.I.A गठबंधन से सूरी बना राखी है। लोकसभा चुनाव से पहले बसपा का किसी पार्टी को समर्थन नहीं मिला है।
भ्र्ष्टाचार,गरीबी और बेरोजगारी मार से झूझ रही है जनता
मायावती ने आने चुनाव से पहले सोशल मिडिया पर एक पोस्ट किया है। कि बीजेपी और कांग्रेस पार्टी तरह-तरह के लोक लुभाव वादे कर रही है। और चुनाव के माहौल को अपनी तरफ मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। सवाल ये उठता है कि जब समय था तब इन वादों को पूरा क्यों नहीं किया गया। अब चुनाव से पहले ये वादे क्यों किये जा रहे है। उनका कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस के वादों में गंभीरता से ज्यादा छलावा नजर आ रहा है। मायावती ने बताय कि देश की जनता इस वक़्त भ्र्ष्टाचार, गरीबी और बेरोजगारी की मार से झूझ रही है। लेकिन दोनों पार्टियां चुनाव के लिए महिला आरक्षण, जातीय जनगणना और ओबीसी के मुद्दों को उठा रही है।
मायावती ने दोनों से पूछा सवाल
जनता अब किसी प्रकार के बहकावे में नहीं आने वाली है। मायावती ने कांग्रेस के इस नारे ‘जिसकी जीतनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी’ को लेकर पूछा है कि क्या कांग्रेस ने आजादी के बाद से सरकार एवं पार्टी में अमल किया है। ऐसे में क्या कांग्रेस पार्टी पर भरोसा किया जायेगा। बसपा ने सामाजिक न्याय सरकार और पार्टी में लागु कर दिखाया है।