Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है। अररिया जिले के दिग्गज नेता और चार बार के विधायक रह चुके जनार्दन यादव ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है। अब वे प्रशांत किशोर की अगुवाई वाले जन सुराज अभियान में शामिल हो गए हैं। प्रशांत किशोर ने खुद उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई और उनका स्वागत किया।
जेपी आंदोलन से राजनीति की शुरुआत
जनार्दन यादव कोई नए नेता नहीं हैं। उनकी राजनीतिक शुरुआत जेपी आंदोलन से हुई थी। छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे और धीरे-धीरे बीजेपी के मजबूत नेता बनकर उभरे। अररिया की राजनीति में उनकी पकड़ मजबूत रही है और वे चार बार विधायक भी रह चुके हैं। उन्हें बीजेपी का एक ‘पुराना सिपाही’ माना जाता था।
2015 के बाद खुद को महसूस किया उपेक्षित
हालांकि 2015 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से जनार्दन यादव खुद को पार्टी में लगातार उपेक्षित महसूस कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी नेतृत्व ने उन्हें साइडलाइन कर दिया, जबकि वे संगठन में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते थे। इतने लंबे अनुभव और जनाधार के बावजूद उन्हें नजरअंदाज किया गया, जिससे वे काफी निराश हो गए।
जन सुराज में दिखी नई उम्मीद
अब जन सुराज अभियान से जुड़ने के बाद जनार्दन यादव ने कहा कि उन्हें प्रशांत किशोर की सोच पसंद आई। उनका मानना है कि प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति को एक नई दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं और वे इस सफर का हिस्सा बनकर राज्य के विकास में योगदान देना चाहते हैं।
प्रशांत किशोर ने भी यादव का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि जन सुराज को ऐसे अनुभवी नेताओं की ज़रूरत है और उनके आने से आंदोलन और मजबूत होगा।
बीजेपी को होगा बड़ा नुकसान?
जनार्दन यादव का बीजेपी छोड़ना पार्टी के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है, खासकर सीमांचल इलाके में। यादव समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ रही है और अररिया जिले में उनका काफी असर है। ऐसे में जन सुराज को इस क्षेत्र में बड़ी मजबूती मिल सकती है और बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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