Bihar News: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने चुनाव आयोग (ईसीआई) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बिहार में मतदाता सूची की विशेष सघन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया को लेकर गहरी चिंता जताई है और कहा है कि आयोग राज्यों की चुनावी संरचना और मतदाता स्वरूप को बदलने की कोशिश कर रहा है, जो लोकतांत्रिक अधिकारों का “दुरुपयोग” है।
पी. चिदंबरम ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में दावा किया कि बिहार में करीब 65 लाख मतदाता आगामी चुनावों में अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने तमिलनाडु में 6.5 लाख नए मतदाताओं को जोड़ने की खबरों को “चिंताजनक और गैरकानूनी” करार दिया।
उन्होंने लिखा, “चुनाव आयोग संविधान की परिधि से बाहर जाकर कार्य कर रहा है। मतदाता सूची की संरचना में बड़े पैमाने पर बदलाव करना, बिना पारदर्शिता के, लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने जैसा है।”
चिदंबरम ने कही ये बड़ी बात
चिदंबरम ने इस प्रक्रिया का राजनीतिक और कानूनी रूप से विरोध करने की बात कही है। उन्होंने सभी लोकतांत्रिक दलों और नागरिक समाज से अपील की कि वे इस मुद्दे पर एकजुट हों और मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा करें।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग किसी बाहरी दबाव में काम कर रहा है या किसी विशेष एजेंडे को बढ़ावा दे रहा है।
चुनाव आयोग की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन इस तरह के आरोपों ने एक बार फिर देश में चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर बहस छेड़ दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मतदाता सूची में इस तरह के व्यापक बदलाव बिना स्पष्ट दिशा-निर्देश और जनभागीदारी के किए जाते हैं, तो इससे लोकतंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
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