Delhi Election 2025 : दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को मतदान होना है और इस बार दिल्ली की सियासत में तीन प्रमुख दल आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला है। यह चुनाव दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, क्योंकि पिछले कुछ चुनावों में दिल्ली का वोटिंग पैटर्न लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अलग-अलग दिखाई देता है। इसे राजनीतिक भाषा में “स्विंग वोटर्स” का खेल कहा जाता है, जिनके वोट चुनाव की दिशा बदलने की क्षमता रखते हैं।
स्विंग वोटर्स का प्रभाव
दिल्ली के पिछले दो लोकसभा और विधानसभा चुनावों में यह साफ देखा गया है कि स्विंग वोटर्स सियासी परिदृश्य को निर्धारित करने का काम करते हैं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को समर्थन देने वाले मतदाता विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के पक्ष में वोट करते दिखाई दिए। यह पैटर्न पिछले दो चुनावों से जारी है और इसी कारण दिल्ली की सियासत में इन स्विंग वोटर्स की अहमियत बढ़ गई है।
स्विंग वोटर्स की पहचान
स्विंग वोटर्स वो मतदाता होते हैं जिनका मिजाज लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बदलता रहता है। (Delhi Election 2025) दिल्ली में लगभग 20 से 25 फीसदी स्विंग वोटर्स हैं, जो लोकसभा चुनाव में एक पार्टी को वोट देते हैं और विधानसभा चुनाव में दूसरी पार्टी को। उदाहरण के लिए 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 46.4 फीसदी वोट मिले थे और पार्टी ने सभी सात सीटें जीत ली थीं। वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 54.5 फीसदी वोट मिले और बीजेपी को 32.2 फीसदी वोट मिले।
स्विंग वोटर्स की जातिगत संरचना
दिल्ली के स्विंग वोटर्स के बारे में अगर बात करें, तो विभिन्न जातिगत वर्गों में इनका प्रभाव देखा जा सकता है। सवर्ण समाज में लगभग 30 फीसदी स्विंग वोटर्स हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सवर्ण समाज ने 75 फीसदी बीजेपी को वोट किया था, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा घटकर 54 फीसदी रह गया। वहीं आम आदमी पार्टी को सवर्ण समाज का 13 फीसदी समर्थन 2020 में बढ़कर 41 फीसदी हो गया।
ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समाज भी स्विंग वोटर्स में शामिल है। 2019 में ओबीसी समाज का 64 फीसदी वोट बीजेपी को मिला था, लेकिन 2020 में यह आंकड़ा घटकर 50 फीसदी रह गया। आम आदमी पार्टी को 2019 में ओबीसी समाज का 18 फीसदी समर्थन मिला था, जो 2020 में बढ़कर 49 फीसदी हो गया।
दलित और मुस्लिम वोटर्स
दिल्ली में दलित और मुस्लिम समुदाय के मतदाता भी स्विंग वोटर्स के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दलित वोट का 44 फीसदी समर्थन मिला था, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में यह घटकर 25 फीसदी रह गया। आम आदमी पार्टी को दलितों का 22 फीसदी समर्थन 2020 में बढ़कर 69 फीसदी हो गया।
मुस्लिम समुदाय में भी स्विंग वोटर्स की संख्या काफी अधिक है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मुस्लिम समुदाय से सिर्फ 7 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2020 के विधानसभा चुनाव में यह घटकर 3 फीसदी रह गए। वहीं आम आदमी पार्टी को 2019 में मुस्लिम समुदाय का 28 फीसदी समर्थन मिला था, जो 2020 में बढ़कर 83 फीसदी हो गया।
क्या 2025 में बदलेगा सत्ता का सीन?
इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Election 2025) में कांटे का मुकाबला हो सकता है। आम आदमी पार्टी का वोट शेयर लगभग 25 फीसदी के आसपास है, जबकि बीजेपी का वोट शेयर 35 फीसदी के करीब है। कांग्रेस का सियासी आधार आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच सिमट गया है। 25 से 30 फीसदी वोटर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अपना मिजाज बदलते रहते हैं और यही बदलाव दिल्ली के राजनीतिक भविष्य को निर्धारित करेगा।
अगर 2025 के विधानसभा चुनाव में भी 2015 और 2020 की तरह ही स्विंग वोटर्स ने अपना मिजाज बदला तो बीजेपी को चुनौती मिल सकती है। वहीं अगर बीजेपी अपने लोकसभा समर्थन को विधानसभा चुनावों में बनाए रखती है तो दिल्ली में बीजेपी का सियासी वनवास समाप्त हो सकता है।
ये भी पढ़ें : Mahakumbh 2025 : भूटान के नरेश संगम में करेंगे स्नान, सीएम योगी भी होंगे मौजूद
ये भी देखें : Yamuna सफाई पर घिरे Arvind Kejriwal; Swati Maliwal ने किया घर के बाहर प्रदर्शन