Dr. S. Jaishankar: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने दुनिया को यह साफ संदेश दे दिया है कि अगर देश पर आतंकी हमला होगा, तो और वह भी ठोस कार्रवाई के साथ उसका जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक रुख अपना रहा है और जो भी इस रास्ते पर भारत के खिलाफ आएगा, उसे नतीजे भुगतने होंगे।
जयशंकर ने यह बात वॉशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही, जहां उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले, सीमा पार आतंकवाद, और क्वाड (QUAD) देशों के संयुक्त बयान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि क्वाड का यह साझा रुख बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में लाने की सख्त मांग की गई है।
पाकिस्तान को परोक्ष संदेश
हालांकि पाकिस्तान ने यह दावा किया है कि क्वाड देशों के बयान में उसका नाम नहीं लिया गया, लेकिन जयशंकर ने स्पष्ट किया कि इशारा उसी की ओर था। उन्होंने कहा, “क्वाड और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के 25 अप्रैल के बयान में जो बात हमारे लिए सबसे अहम है, वह यह है कि आतंकी हमलों के गुनहगारों को जवाबदेह ठहराया जाए और उन्हें न्याय के सामने लाया जाए।”
ऑपरेशन सिंदूर: कार्रवाई का सीधा संकेत
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत अब केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उसने साफ दिखा दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ वह सक्रिय और ठोस कदम उठाएगा। “सात मई को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य यही था – यह संदेश देना कि अगर आतंकवादी हमला होगा तो भारत केवल उसकी निंदा नहीं करेगा, बल्कि उसे अंजाम देने वालों, उनके समर्थकों, फंडिंग करने वालों और सहयोगियों पर कार्रवाई करेगा।
क्वाड का कड़ा रुख
भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया से मिलकर बने क्वाड देशों ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए अपने संयुक्त बयान में कहा कि हमले की साजिश रचने वालों, उसे अंजाम देने वालों और उसे वित्तपोषण करने वालों को बिना देरी के न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।
बयान में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि सीमा पार आतंकवाद स्वीकार नहीं किया जाएगा और इसके खिलाफ ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, और इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी।
UNSC की कड़ी प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी इस हमले की निंदा की और आतंकवादियों, उनके वित्तपोषकों व प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने पर जोर दिया। बयान में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को अंतरराष्ट्रीय कानून और UNSC के प्रस्तावों के तहत सहयोग करना चाहिए ताकि आतंक के खिलाफ एकजुट कार्रवाई सुनिश्चित हो।
वैश्विक मंच पर भारत की स्पष्टता
जयशंकर ने कहा कि उन्होंने क्वाड के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी अपने समकक्षों को यह बताया कि भारत दशकों से आतंकवाद का सामना कर रहा है और अब वह इससे निपटने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हमने साफ कर दिया है कि हमें अपनी रक्षा करने का अधिकार है और हम उसका उपयोग करेंगे।”
अमेरिका से व्यापक चर्चा
जयशंकर ने बताया कि उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ एक सकारात्मक द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें व्यापार, निवेश, रक्षा, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा सहित कई अहम विषयों पर चर्चा हुई। इसके अतिरिक्त, उन्होंने अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट के साथ भी द्विपक्षीय बातचीत की।
रूस से तेल आयात पर अमेरिकी विधेयक पर भारत की चिंता
अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम के उस प्रस्ताव पर पूछे गए सवाल के जवाब में, जिसमें रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 500% शुल्क लगाने की बात है, जयशंकर ने कहा कि भारत ने अपनी चिंताएं अमेरिका को स्पष्ट रूप से बता दी हैं। उन्होंने कहा, “हमने ऊर्जा सुरक्षा को लेकर अपनी चिंताओं से उन्हें अवगत करा दिया है और भारतीय दूतावास लगातार संपर्क में है।”
ये भी देखें: Prayagraj में पुलिस ने चन्द्रशेखर को कौशांबी जाने से रोका, तो क्या कह गए सांसद!