Gandhi Jayanti 2025: 2 अक्टूबर हर भारतीय के लिए बहुत खास दिन है। यह वही दिन है जब हमारे राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल हम इस दिन को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। साथ ही यह दिन अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस भी है। क्योंकि बापू ने जीवन भर अहिंसा और सत्य की बात की।
गांधी जी ने अपनी ज़िन्दगी में लड़ते-लड़ते नहीं, बल्कि अहिंसा और सच्चाई के रास्ते से बड़े-बड़े बदलाव किए। उन्होंने न केवल अंग्रेज़ों से आज़ादी दिलाने में अहम रोल निभाया, बल्कि लोगों को ये भी सिखाया कि ज़िंदगी को कैसे इन्सानियत और दयालुता के साथ जिया जाता है। आज के दिन हम सिर्फ उन्हें याद नहीं करते, बल्कि उनके बताए सिद्धांतों सत्य, अहिंसा, माफी और सरलता – को भी अपने दिल में ताज़ा करते हैं।
नीचे बापू के कुछ मशहूर वाक्य हैं। सीधी, साफ और कमरे-जेहन में बैठ जाने वाली बातें। इन्हें पढ़कर आसानी से लग जाता है कि उनके विचार कितने गहरे और ज़मीनी थे।
- “मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वजह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूं।”
यानी कि जीवन में किसी के लिए हत्यारा बनना ठीक नहीं — चाहे कारण कितना भी बड़ा क्यों न लगे। - “आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।”
बदला लेने से दुनिया में बस अँधेरा ही फैलता है। - “बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो।”
सादा सा मंत्र — अपने दिमाग और बातचीत में नेगेटिविटी कम रखें। - “पाप से घृणा करो, पापी से नहीं।”
गलती से नफरत करें, इंसान से नहीं — इससे माफी और बदलाव आसान होता है। - “निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।”
हथियार से नहीं, हिम्मत और सिद्धांत से ज़्यादा असर होता है। - “अहिंसा परमो धर्म।”
अहिंसा ही उच्चतम धर्म है — जीवन का गहरा सिद्धांत। - “दिल की कोई भाषा नहीं होती, दिल-दिल से बात करता है।”
दिल की बात सीधे दिल तक पहुंचती है, शब्दों से नहीं केवल। - “करो या मरो।”
मतलब: जो काम शुरू करो, पूरे मन से करो — बीच में झिझकना काम का नुकसान कर देता है। - “ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीना है।”
ज़िंदगी पूरी जीयो पर सीखना कभी बंद मत करो। - “कमजोर लोग कभी माफ नहीं कर सकते, माफी मजबूत लोगों का गुण है।”
माफ करना कमजोरी नहीं, हिम्मत है। - “दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए।”
इंतजार मत करो — खुद वो बदलाव लाओ जो चाहिए। - “जब तक आप किसी को वास्तव में खो नहीं देते तब तक आप उसकी अहमियत नहीं समझते।”
रिश्तों की कदर करें, उन्हें खोकर पछताने से अच्छा है पहले ही समझना।
गांधी जयंती पर हम लोग स्कूली कार्यक्रम, स्मरण सभाएं और साफ-सफाई अभियान जैसे कार्य करते हैं। लेकिन असल बात यह है कि हमें अपने रोजमर्रा के कामों में बापू के विचारों को उतारना चाहिए छोटा सा दयालु काम, सच्चाई के साथ व्यवहार, और बिना जरूरत के किसी को नुकसान न पहुंचाना यही असली श्रद्धांजलि है।
इसलिए आज जब भी आप बापू को याद करें, सिर्फ कवायद के तौर पर नहीं अपने व्यवहार में थोड़ी दया, थोड़ी सादगी और थोड़ी ज़िम्मेदारी जरूर लाएं। छोटे-छोटे काम मिलकर बड़े बदलाव बनते हैं और यही महात्मा गांधी ने हमें सिखाया।
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