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Gujarat News: वडोदरा में टूटा 43 साल पुराना पुल, नदी में गिरे कई वाहन, 2 की मौत, 3 घायल

by | Jul 9, 2025 | बड़ी खबर, मुख्य खबरें

Gujarat News: गुजरात के वडोदरा और आणंद जिलों को जोड़ने वाला महिसागर नदी पर बना गंभीरा पुल मंगलवार सुबह एक दर्दनाक हादसे का गवाह बन गया। वडोदरा के पादरा इलाके में स्थित यह पुल अचानक टूट गया, जिससे कई वाहन नदी में समा गए। हादसे में अब तक दो लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि तीन लोग घायल हुए हैं। स्थानीय प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है, लेकिन नदी में कितने लोग गिरे, इसकी स्पष्ट जानकारी अब तक सामने नहीं आई है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुल का एक हिस्सा अचानक ढह गया, जिससे उस पर चल रहे दो ट्रक, एक कार और कई दोपहिया वाहन सीधे नदी में गिर गए। एक बड़ा ट्रक पुल के बीचोंबीच फंसा हुआ लटका नजर आया, जो हादसे की भयावहता को दर्शा रहा है। चूंकि महिसागर नदी का तल काफी गहरा और चौड़ा है, इसलिए नदी में गिरे वाहनों की सटीक संख्या का अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है।

फायर ब्रिगेड और पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। गोताखोरों की मदद से नदी में गिरे लोगों और वाहनों की तलाश जारी है। पादरा के पुलिस निरीक्षक विजय चरण ने बताया कि सुबह करीब 7:30 बजे यह हादसा हुआ। उन्होंने बताया, “अब तक चार लोगों को बचाया गया है। दो ट्रक और दो वैन नदी में गिरे हैं।”

घटना के बाद पुल की हालत को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह पुल 43 साल पुराना था और इसकी हालत लंबे समय से खराब थी। स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने समय रहते कोई एक्शन नहीं लिया। मानसून के मौसम से पहले भी कोई सतर्कता या मरम्मत का कार्य नहीं किया गया।

सूत्रों के अनुसार, सौराष्ट्र से आने वाले भारी वाहन टोल टैक्स से बचने के लिए इस पुल का इस्तेमाल करते थे, जिससे पुल पर लोड बहुत अधिक बढ़ गया था। वहीं, वडोदरा कलेक्टर का कहना है कि इस पुल का कोई वैकल्पिक मार्ग फिलहाल उपलब्ध नहीं है।

स्थानीय लोग इस पुल को ‘सुसाइड पॉइंट’ के नाम से भी जानते थे। पुल की हालत इतनी खराब थी कि इसके बगल में एक नया पुल बनाने की योजना तैयार की गई थी, लेकिन वह परियोजना अब तक कागजों तक ही सीमित है। नया पुल बनाने की मंजूरी मिलने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया।

इस हादसे ने एक बार फिर बुनियादी ढांचे की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है। जानमाल की हानि के साथ-साथ यह घटना एक चेतावनी भी है कि समय रहते जर्जर ढांचों की मरम्मत और रखरखाव न किया जाए तो उसका खामियाजा आम लोगों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ता है। प्रशासन के लिए अब यह हादसा सिर्फ एक दुखद घटना नहीं, बल्कि जिम्मेदारी तय करने का समय है।

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