Maharashtra: महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। हाल ही में राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने भाषा विवाद को लेकर बयान दिया, जिसमें उन्होंने हिंसा और नफरत को राज्य के लिए नुकसानदायक बताया। अब इस बयान पर उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना (यूबीटी) की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।
राज्यपाल के बयान पर शिवसेना का पलटवार
शिवसेना (यूबीटी) के नेता आनंद दुबे ने राज्यपाल के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा,”हम राज्यपाल से कहना चाहते हैं कि कोई भी हिंसा का समर्थन नहीं कर सकता, लेकिन मराठी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि एक संस्कृति है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि जब देश के अन्य हिस्सों से कारोबार गुजरात की ओर जा रहा है, तब राज्यपाल ऐसे मामलों पर सवाल क्यों नहीं उठाते।
‘मराठी नहीं तो क्या भूटान में बोलेगी मराठी?’
आनंद दुबे ने आगे कहा,”अगर महाराष्ट्र में मराठी नहीं बोली जाएगी, तो क्या यह भूटान में बोली जाएगी? राज्य में मराठी भाषा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। हम राज्यपाल से आग्रह करते हैं कि वे विवाद न खड़ा करें, बल्कि मराठी भाषा सीखें और राज्य की संस्कृति को समझें।”
उन्होंने राज्यपाल से अगला सार्वजनिक भाषण मराठी में देने की भी अपील की।
राज्यपाल ने क्या कहा?
राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने अपने बयान में कहा था कि हमें ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखनी चाहिए और अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने एक पुराना किस्सा सुनाते हुए बताया कि जब वे तमिलनाडु में सांसद थे, तब उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति को केवल इसलिए पीटा गया क्योंकि वह तमिल नहीं बोल रहा था।
उन्होंने यह भी कहा,”अगर हम नफरत फैलाएंगे, तो कौन महाराष्ट्र में निवेश करने आएगा? इससे राज्य को नुकसान पहुंचेगा।”
‘हिंसा और कट्टरता से नहीं होगा विकास’
राज्यपाल का मानना है कि राज्य में कट्टर भाषा नीति या हिंसा से कोई लाभ नहीं होगा, बल्कि इससे निवेश और विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए यह भी स्वीकार किया कि वे खुद हिंदी समझने में असमर्थ हैं, जो उनके लिए चुनौती है।
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