MPOX Virus : चीन में पहले से ही एचएमपीवी वायरस के चलते अफरा-तफरी मची हुई है, और अब एक नए वायरस स्ट्रेन ने स्वास्थ्य संकट को और बढ़ा दिया है। चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने गुरुवार (09 जनवरी, 2025) को पुष्टि की कि देश में मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) के नए स्ट्रेन क्लेड आईबी का पता चला है। यह वायरस पहले से कांगो सहित कुछ अफ्रीकी देशों में मौजूद था।
कैसे फैला एमपॉक्स का यह नया स्ट्रेन?
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) ने बताया कि यह संक्रमण एक विदेशी नागरिक से शुरू हुआ, जो पहले कांगो में रहा था। उस विदेशी व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद चार और मामलों की पुष्टि हुई। संक्रमित मरीजों में हल्के लक्षण देखे गए हैं, जिनमें त्वचा पर दाने और मवाद भरे घाव शामिल हैं।
क्या है एमपॉक्स ?
एमपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, जो नजदीकी शारीरिक संपर्क के जरिए फैलती है। यह बीमारी फ्लू जैसे लक्षणों के साथ-साथ शरीर पर मवाद भरे घाव बनाती है। आमतौर पर यह संक्रमण घातक नहीं होता, लेकिन दुर्लभ मामलों में यह जानलेवा साबित हो सकता है।
पिछले दो वर्षों में यह दूसरी बार है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एमपॉक्स को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है। यह कदम विशेष रूप से डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) और उसके पड़ोसी देशों बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा में मंकीपॉक्स के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए उठाया गया था।
भीड़-भाड़ पर लगेगी पाबंदियां
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने घोषणा की है कि एमपॉक्स को कैटगरी बी के संक्रामक रोग के रूप में प्रबंधित किया जाएगा। इसके तहत अधिकारियों को आपातकालीन उपाय करने का अधिकार होगा। इन उपायों में भीड़-भाड़ को रोकने के लिए पाबंदियां लगाना, स्कूल और कार्यस्थलों को अस्थायी रूप से बंद करना, और वायरस के फैलाव को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्रों को सील करना शामिल है।
इसके अलावा, चीन ने पिछले साल अगस्त में देश में आने वाले यात्रियों और सामानों पर निगरानी की योजना बनाई थी। इस निगरानी को अब और अधिक सख्त किया जाएगा।
इन जगहों पर भी फैल रहा एमपॉक्स वायरस
एमपॉक्स वायरस का क्लेड 1बी वैरिएंट, जो डीआरसी में प्रमुख है, अब अफ्रीकी देशों के अलावा अन्य जगहों पर भी फैल रहा है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इसे रोकने के लिए वैश्विक सहयोग और त्वरित उपाय आवश्यक हैं।
चीनी अधिकारियों का कहना है कि इस संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि बीमारी के वैश्विक स्तर पर फैलने की संभावना को देखते हुए सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है।