Nobel Peace Prize 2025: नॉर्वे की राजधानी ओस्लो से इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार 2025 का ऐलान हो गया है। इस बार का सम्मान वेनेजुएला की राजनीतिक कार्यकर्ता मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष के लिए प्रदान किया गया है।
मारिया कोरिना मचाडो – साहस और संघर्ष की मिसाल
मारिया कोरिना मचाडो का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को वेनेजुएला की राजधानी कराकस में हुआ था। उन्होंने एंड्रेस बेलो कैथोलिक यूनिवर्सिटी से औद्योगिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और आगे वित्त में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
मचाडो लंबे समय से तानाशाही विरोधी आंदोलनों में सक्रिय हैं और उन्होंने अपने देश में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए लगातार संघर्ष किया है। पिछले साल उन्हें अपनी जान बचाने के लिए छिपना पड़ा था, फिर भी उन्होंने देश नहीं छोड़ा – यही साहस उन्हें इस पुरस्कार का हकदार बनाता है।
डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदें ध्वस्त
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बार के नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे चर्चित उम्मीदवारों में शामिल थे। ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान समेत 7 देशों के बीच युद्ध को रोकने में अहम भूमिका निभाई है।
हालांकि, नोबेल कमेटी ने उनका सपना तोड़ते हुए यह सम्मान मचाडो को दिया। ट्रंप को 8 देशों – पाकिस्तान, इजराइल, अमेरिका, आर्मेनिया, अजरबैजान, माल्टा, कंबोडिया और एक अन्य देश -द्वारा नॉमिनेट किया गया था, फिर भी वे इस दौड़ में पीछे रह गए।
नोबेल कमेटी का बयान, “हम बहादुरों का सम्मान करते हैं”
नोबेल कमेटी ने घोषणा के दौरान कहा,
“हम हमेशा उन लोगों का सम्मान करते हैं जिन्होंने दमन के खिलाफ खड़े होकर आजादी और मानव अधिकारों की रक्षा की है। मारिया मचाडो ऐसी ही एक साहसी महिला हैं जिन्होंने सभी चुनौतियों के बावजूद अपने देश में लोकतंत्र की लौ जलाई रखी।”
कमेटी ने मचाडो की शांति के प्रति प्रतिबद्धता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पण को प्रेरणादायक बताया।
2025 के नोबेल शांति पुरस्कार की प्रक्रिया
हर साल की तरह, नोबेल नामांकन प्रक्रिया 1 फरवरी से शुरू हुई थी और 31 जनवरी 2025 तक चली। इस बार कुल 338 उम्मीदवार इस पुरस्कार की दौड़ में थे, जिनमें राजनीतिक नेता, मानवाधिकार कार्यकर्ता और अंतरराष्ट्रीय संगठन शामिल थे।
पिछले साल का विजेता – निहोन हिडांक्यो
2024 का नोबेल शांति पुरस्कार जापान के संगठन निहोन हिडांक्यो को मिला था। यह संगठन हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम पीड़ितों द्वारा 1956 में स्थापित किया गया था। इस समूह ने अपनी दर्दनाक यादों को शांति और एकता का संदेश फैलाने में बदल दिया।
शांति की दिशा में एक और कदम
मारिया कोरिना मचाडो को मिला नोबेल शांति पुरस्कार 2025 इस बात का प्रतीक है कि शांतिपूर्ण संघर्ष हमेशा दुनिया में बदलाव ला सकता है। वहीं, डोनाल्ड के लिए यह नतीजा उनके लंबे समय से चल रहे नोबेल सपने का अंत साबित हुआ।
यह पुरस्कार न सिर्फ मचाडो की जीत है, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो लोकतंत्र, मानवाधिकार और शांति के लिए आवाज उठाते हैं।
ये भी देखें: Cough Syrup Case: कफ सिरप है या काल! घातक गलती या लापरवाही ?