Rahul Gandhi : कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी पांच फरवरी को बिहार के दौरे पर जाएंगे, जहां वे स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व मंत्री जगलाल चौधरी की जयंती समारोह में शामिल होंगे। यह उनके पिछले 18 दिनों में बिहार का दूसरा दौरा है, जिससे इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या राहुल गांधी बिहार दौरे के माध्यम से अपनी पार्टी में नई ऊर्जा लाने की कोशिश कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने इससे पहले 18 जनवरी को बिहार का दौरा किया था, जब उन्होंने राजधानी पटना में आयोजित संविधान सुरक्षा कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इस दौरान उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राजद के अन्य शीर्ष नेताओं से भी मुलाकात की थी।
जगलाल चौधरी की जयंती समारोह
राहुल गांधी का बिहार दौरा मुख्य रूप से स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व मंत्री जगलाल चौधरी की जयंती समारोह में शामिल होने के लिए है। वरिष्ठ पत्रकार संजय उपाध्याय का कहना है कि जगलाल चौधरी एससी वर्ग से ताल्लुक रखते थे और राहुल गांधी इस दौरे के माध्यम से इस वर्ग के लोगों को एक राजनीतिक संदेश देने की कोशिश कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले राहुल गांधी ने संविधान सुरक्षा कार्यक्रम के दौरान उन वोटरों को संदेश देने की कोशिश की थी, जो धीरे-धीरे कांग्रेस से दूर हो गए थे।
34 सालों से सत्ता से दूर कांग्रेस
बिहार में कांग्रेस की स्थिति को लेकर विडंबना यह है कि यह पार्टी पिछले 34 वर्षों से राज्य में अपने दम पर सत्ता में नहीं आ सकी है। 1990 में जब लालू प्रसाद का बिहार की राजनीति में आगमन हुआ, उसके बाद से कांग्रेस धीरे-धीरे सिमटती चली गई। 2000 में बिहार का विभाजन होने के बाद से कांग्रेस को महागठबंधन का हिस्सा बनकर ही सत्ता में रहना पड़ा। 2000 से लेकर 2024 तक, कांग्रेस ने कई बार महागठबंधन में शामिल होकर राज्य में सरकार बनाई, लेकिन हमेशा राजद के सहारे ही रही।
सीटों को लेकर समीकरण
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, और कांग्रेस इस बार ज्यादा सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से उन्हें 19 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने तीन सीटों पर जीत हासिल की थी।
‘Rahul Gandhi के दौरे से मिलती है ऊर्जा’ – प्रदेश अध्यक्ष
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा है कि राहुल गांधी के बिहार दौरे से पार्टी कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा मिलती है। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर राहुल गांधी बिहार में लगातार दौरे करेंगे, तो कांग्रेस को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी, और कांग्रेस फिर से 1990 वाली ताकत बन सकती है।
संदेश सभी वर्गों तक पहुंचाने की कोशिश
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि राहुल गांधी का यह दौरा केवल राजनीतिक नहीं है, लेकिन जब कोई नेता दौरे पर आता है तो सियासी बातें होती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी के दौरे का संदेश सिर्फ शेड्यूल कास्ट समाज तक नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने की कोशिश है। राहुल गांधी ने हमेशा सदन से सड़क तक आवाज उठाई है और वह दलितों, महिलाओं, और पिछड़े वर्गों के हक की लड़ाई लड़ते रहे हैं।
दलित वोटरों पर नजर
संजय उपाध्याय ने बताया कि कांग्रेस की नजर बिहार के दलित वोटरों पर है। बिहार में करीब 32 प्रतिशत दलित वोटर हैं, जो कभी कांग्रेस पार्टी के मुख्य वोट बैंक रहे हैं। लेकिन अब चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे बड़े दलित नेता भी राज्य में प्रभावी हो गए हैं, जिससे यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी इस जयंती के माध्यम से दलित वोटरों को अपनी ओर कितना आकर्षित कर पाते हैं।
अखिलेश प्रसाद सिंह पर आरोप
संजय उपाध्याय ने यह भी कहा कि बिहार में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का दौरा कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की कोशिश है। हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह पर आरोप लगते रहे हैं कि वह लालू प्रसाद के समर्थक हैं और कांग्रेस में उनके एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। पार्टी के भीतर यह चर्चा भी हो रही है कि यदि लालू प्रसाद कांग्रेस को उनकी मांगी गई सीटें नहीं देते, तो पार्टी क्यों नहीं सभी 243 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़े। हालांकि, इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
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