Sonam Wangchuck: लद्दाख के जाने-माने पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की हिरासत को लेकर अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। उनकी पत्नी गीतांजलि आंग्मो ने सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दाखिल की है और मांग की है कि सोनम को तुरंत रिहा किया जाए।
क्या है मामला?
गीतांजलि का कहना है कि सोनम एक शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से लद्दाख के लिए आंदोलन कर रहे थे। लेकिन अब उन पर गलत आरोप लगाकर उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया है। यहां तक कि प्रशासन ने डिटेंशन ऑर्डर की कॉपी भी उपलब्ध नहीं कराई है। ऐसे में यह हिरासत पूरी तरह से गैरकानूनी है।
कौन हैं सोनम वांगचुक?
सोनम वांगचुक को पर्यावरण के क्षेत्र में उनके काम के लिए रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड मिल चुका है। वे लंबे समय से लद्दाख के लोगों की मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं। उनकी मुख्य मांग है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा मिले और उसे संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष अधिकार दिए जाएं।
छठी अनुसूची का मतलब है कि लद्दाख के लोगों को उनके संसाधनों पर अधिकार मिलेगा, उनकी संस्कृति की रक्षा होगी और उन्हें स्वायत्तता से फैसले लेने का हक मिलेगा।
आंदोलन क्यों उग्र हुआ?
हाल के हफ्तों में लद्दाख में धरना-प्रदर्शन और भूख हड़ताल का सिलसिला तेज हो गया था। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस की गोलीबारी में 4 लोगों की जान चली गई। इसके बाद प्रशासन ने सोनम वांगचुक पर गंभीर आरोप लगाए। जैसे कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से संपर्क, विदेशों से अवैध फंडिंग लेना और विदेशी ताकतों के लिए काम करना।
सोनम को 26 सितंबर को हिरासत में ले लिया गया और अब खबर है कि उन्हें जोधपुर शिफ्ट किया जा सकता है।
पत्नी का आरोप
गीतांजलि आंग्मो का कहना है कि सोनम और उनकी संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख (HIAL) को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि छठी अनुसूची की मांग को कमजोर किया जा सके। सोनम का जो पाकिस्तान दौरा बताया जा रहा है, वह एक पर्यावरण कार्यक्रम के लिए था और उसका किसी एजेंट से कोई लेना-देना नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की करेगा सुनवाई
अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा और फैसला लेगा कि क्या वाकई में सोनम की गिरफ्तारी नियमों के खिलाफ हुई है। इस बीच, लद्दाख में तनाव बना हुआ है और लोग मांग कर रहे हैं कि सोनम वांगचुक को रिहा किया जाए और लद्दाख की आवाज को दबाया न जाए।