Lok Sabha: लोकसभा में बुधवार को एक बड़ा राजनीतिक घमासान उस समय देखने को मिला। आपको बता दें कि जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीन महत्वपूर्ण और विवादास्पद विधेयक सदन में पेश किए। इन विधेयकों में प्रावधान है कि यदि कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री गंभीर आपराधिक आरोप में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक जेल में रहता है, तो 31वें दिन अपने पद से हटा दिया जाएगा।
विधेयक पेश करते ही विपक्षी दलों के सांसदों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने इन विधेयकों को अलोकतांत्रिक और संविधान विरोधी करार देते हुए विधेयकों की प्रतियां फाड़कर अमित शाह की ओर फेंकी और सदन के बीच में आकर नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे के कारण लोकसभा को पहले दोपहर 3 बजे तक और फिर शाम 5 बजे तक स्थगित करना पड़ा।
“जल्दबाजी में नहीं लिया निर्णय” – अमित शाह
गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि यह निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) को भेजा जाएगा, जिसमें सभी दलों के सांसद अपने सुझाव दे सकेंगे। शाह ने कहा “हम इतने बेशर्म नहीं हो सकते कि गंभीर आरोपों के बावजूद सांविधानिक पदों पर बने रहें।”
विपक्ष का तीखा विरोध
कांग्रेस, एआईएमआईएम, टीएमसी समेत अन्य विपक्षी दलों ने विधेयकों को तानाशाही और संविधान के खिलाफ बताया। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा “अगर कल को किसी मुख्यमंत्री पर झूठा मुकदमा दर्ज कर 30 दिन जेल में रखा जाए, तो वह अपने आप पद से हट जाएगा। यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। ”एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भाजपा सरकार देश को पुलिस राज्य बनाना चाहती है। उन्होंने सवाल किया कि “प्रधानमंत्री को कौन गिरफ्तार करेगा?”
टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने भी विधेयकों को तानाशाही कदम बताते हुए कहा कि सरकार बिना जवाबदेही के सत्ता और नियंत्रण चाहती है।
कौन-कौन से विधेयक पेश किए गए?
- संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025
- केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025
- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025
1. संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025
यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 75 (केंद्र सरकार), 164 (राज्य सरकार) और 239AA (दिल्ली सरकार) में संशोधन की बात करता है। इसके तहत:
- यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर अपराध (जिसकी सजा 5 साल या अधिक हो सकती है) में लगातार 30 दिन जेल में रहता है, तो:
- प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना होगा।यदि इस्तीफा नहीं दिया, तो 31वें दिन पद स्वतः समाप्त हो जाएगा।
- अन्य मंत्रियों को प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति/राज्यपाल द्वारा हटाया जाएगा।
2. केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025
1963 के केंद्र शासित प्रदेशों के शासन अधिनियम की धारा 45 में संशोधन किया जाएगा ताकि वहाँ के मुख्यमंत्री या मंत्री को भी 30 दिनों की हिरासत के बाद पद से हटाया जा सके।
3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में बदलाव करके वहां के मुख्यमंत्री या मंत्रियों को भी यह नियम लागू किया जाएगा। धारा 54 में संशोधन करके यह प्रावधान जोड़ा जाएगा कि 30 दिन की हिरासत के बाद मुख्यमंत्री/मंत्री को हटाना अनिवार्य होगा।
क्यों उठे सवाल?
विशेषज्ञों और विपक्ष का तर्क है कि इस तरह के प्रावधानों का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं को फंसाकर हटाया जा सकता है। इसका उदाहरण हालिया घटनाओं में देखा गया है, जैसे:
- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
- तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी ने गिरफ्तारी के बावजूद अपने पद नहीं छोड़े थे।
इन घटनाओं के बाद ही सरकार ने इन विधेयकों की रूपरेखा तैयार की है।
विपक्षी दलों विधेयकों को पूरी तरह खारिज
शाह ने घोषणा की है कि तीनों विधेयकों को 31 सदस्यीय संयुक्त समिति (जेपीसी) को भेजा जाएगा, जो अगले संसद सत्र से पहले अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। हालांकि, विपक्षी दल पहले ही इन विधेयकों को पूरी तरह खारिज कर चुके हैं और इनके खिलाफ सड़कों पर उतरने का संकेत भी दे रहे हैं।
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