Angel Chakma Murder Case: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में त्रिपुरा निवासी छात्र एंजेल चकमा की हत्या के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। इस हत्याकांड को लेकर जहां एक ओर परिवार और पूर्वोत्तर के छात्र संगठन इसे नस्लीय हिंसा और हेट क्राइम बता रहे हैं, वहीं देहरादून पुलिस ने अपनी प्रारंभिक जांच में इस एंगल को खारिज कर दिया है। SSP देहरादून अजय सिंह ने साफ कहा है कि अब तक की जांच में नस्लीय टिप्पणी या जातीय अपमान से जुड़ा कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है।
SSP देहरादून का बयान: जांच तथ्यों के आधार पर
देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि किसी भी मामले की जांच शिकायत और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर होती है। एंजेल चकमा मामले में जब पुलिस को शिकायत मिली, उसी आधार पर FIR दर्ज की गई और जांच शुरू की गई। SSP के मुताबिक, शुरुआती चरण में इस घटना को ‘अटेंप्ट टू मर्डर’ के तहत दर्ज किया गया था, बाद में पीड़ित की मौत होने पर धाराएं बढ़ाई गईं।
नस्लीय टिप्पणी का कोई उल्लेख नहीं
SSP अजय सिंह ने स्पष्ट किया कि शिकायत, आवेदन और FIR में कहीं भी नस्लीय टिप्पणी या जातीय अपमान का जिक्र नहीं था। उन्होंने बताया कि यह एंगल घटना के करीब 15 दिन बाद सामने आया, जिस पर पुलिस अब भी जांच कर रही है। हालांकि, अब तक पूछताछ और उपलब्ध साक्ष्यों में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है, जिससे इसे नस्लीय हमला कहा जा सके।
अब तक पांच आरोपी गिरफ्तार, एक फरार
पुलिस के अनुसार, इस मामले में अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि एक मुख्य आरोपी अभी भी फरार है। उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। गिरफ्तार आरोपियों में अलग-अलग राज्यों और समुदायों से जुड़े लोग शामिल हैं, जिनमें नॉर्थ ईस्ट का भी एक आरोपी है। पुलिस का कहना है कि सभी आरोपियों से अलग-अलग पूछताछ की गई है।
आपसी विवाद और नशे में हुआ हमला
पुलिस जांच में सामने आया है कि यह घटना नशे की हालत में हुई आपसी कहासुनी का नतीजा थी। SSP के मुताबिक, आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे पहले से हमला करने की नीयत से नहीं आए थे, लेकिन बहस बढ़ने और गुस्से में आकर उन्होंने हमला कर दिया। पुलिस का दावा है कि यह कोई पूर्व नियोजित या नस्लीय साजिश नहीं थी।
परिवार और संगठनों का अलग दावा
दूसरी ओर, मृतक एंजेल चकमा के परिवार और पूर्वोत्तर के कई छात्र संगठनों ने इस घटना को नस्लीय हिंसा बताया है। उनका कहना है कि उत्तराखंड जैसे राज्यों में नॉर्थ ईस्ट के छात्रों को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इस मामले को लेकर कुछ राजनीतिक दलों ने भी निष्पक्ष और गहन जांच की मांग की है।
कौन थे एंजेल चकमा
एंजेल चकमा देहरादून के एक निजी विश्वविद्यालय में MBA फाइनल ईयर के छात्र थे। वह अपने छोटे भाई माइकल के साथ सेलाकुई इलाके में रहते थे। 9 दिसंबर 2025 की शाम को उन पर कुछ युवकों ने हमला किया, जिसमें उन्हें सिर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आईं। इलाज के दौरान 26 दिसंबर को उनकी मौत हो गई।
जांच जारी, सभी एंगल खंगाल रही पुलिस
पुलिस का कहना है कि मामला अभी जांच के अधीन है और किसी भी संभावना को पूरी तरह नकारा नहीं गया है। फरार आरोपी की गिरफ्तारी और फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद तस्वीर और साफ हो सकती है। SSP ने भरोसा दिलाया है कि जांच निष्पक्ष होगी और दोषियों को कानून के अनुसार सख्त सजा दिलाई जाएगी।
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