Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि आयोग द्वारा जारी की गई अंतिम मतदाता सूची में भारी गड़बड़ियां हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया भाजपा के इशारे पर की गई है और इसका उद्देश्य सत्ताधारी दल को राजनीतिक फायदा पहुंचाना है।
SIR प्रक्रिया के बाद भी बनी रहीं अनियमितताएं
जयराम रमेश ने कहा कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद जारी सूची में गंभीर खामियां मिली हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट और मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया कि एक ही घर में 247 मतदाताओं के नाम दर्ज हैं, जबकि कुछ स्थानों पर एक व्यक्ति का नाम एक ही बूथ पर तीन बार शामिल किया गया है।
रमेश ने चुनाव आयोग को “BJP की टीम-बी” करार दिया और कहा कि आयोग के सुधार के दावे पूरी तरह झूठे साबित हो रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी का आरोप
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि बिहार के कई इलाकों से मतदाता सूची में गड़बड़ियों की शिकायतें आ रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अनदेखी की है।
उनके मुताबिक, आयोग का यह रवैया भारत के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए चिंताजनक है। रमेश ने पूछा, “क्या मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार यह बताएंगे कि एक ही घर में 247 मतदाता कैसे दर्ज हुए? क्या यह चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल नहीं उठाता?”
47 लाख मतदाता सूची से गायब – कांग्रेस की चिंता बढ़ी
कांग्रेस ने यह भी दावा किया कि SIR प्रक्रिया से पहले और बाद में मतदाताओं की संख्या में बड़ा अंतर आया है। पार्टी के अनुसार, लगभग 47 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं।
रमेश ने कहा कि कुछ विधानसभा क्षेत्रों में हटाए गए मतदाताओं की संख्या पिछले चुनावों में जीत के अंतर से भी अधिक है। उन्होंने कहा, “यह एक गंभीर मामला है जो लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर सकता है।”
‘चुनाव आयोग किसी पार्टी की कठपुतली न बने’
जयराम रमेश ने चुनाव आयोग को चेताया कि उसे देश के लोकतंत्र के रक्षक की भूमिका निभानी चाहिए, न कि किसी एक पार्टी की कठपुतली की तरह काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयोग की मौजूदा कार्यप्रणाली भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुकसान पहुंचा रही है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह मांग करती है कि आयोग निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ काम करे और SIR प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच कराए।
7.42 करोड़ मतदाता, लेकिन पारदर्शिता पर सवाल बरकरार
चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार की अंतिम मतदाता सूची में 7.42 करोड़ मतदाता शामिल हैं। जबकि इस साल जून में यह संख्या 7.89 करोड़ थी। इस अंतर ने विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस को हमलावर बना दिया है। कांग्रेस अब इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच अभियान चलाने की तैयारी में है।
ये भी देखें: Cough Syrup Case: कफ सिरप है या काल! घातक गलती या लापरवाही ?