Delhi Pollution: राजधानी दिल्ली में एक बार फिर वायु प्रदूषण ने खतरनाक रूप ले लिया है। दिसंबर की ठंड के बीच जहरीली हवा ने लोगों की सांसें थाम दी हैं। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI 700 से 800 के बीच रिकॉर्ड किया गया। प्रदूषण के इस आपातकालीन हालात को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-NCR में तत्काल प्रभाव से GRAP-3 लागू कर दिया है।
GRAP-3 क्यों लागू किया गया
CAQM के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही थी और AQI एक बार फिर 400 के पार पहुंच चुका था। 13 दिसंबर की सुबह राजधानी की हवा ‘गंभीर’ और कई जगह ‘अति-गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई। प्रदूषण के कारण आम जनजीवन, स्वास्थ्य सेवाएं और प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित होने लगी, जिसके बाद GRAP-3 लागू करने का फैसला लिया गया।
GRAP-3 के तहत लागू सख्त प्रतिबंध
GRAP-3 के अंतर्गत प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण लगाया गया है। गैर-आवश्यक निर्माण और विध्वंस कार्यों पर रोक लगा दी गई है। पत्थर तोड़ने की मशीनें, ईंट भट्टे, खनन गतिविधियां और कच्ची सड़कों पर निर्माण सामग्री का परिवहन बंद कर दिया गया है। इसके अलावा डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध, गैर-जरूरी वाहनों की आवाजाही पर नियंत्रण और औद्योगिक इकाइयों के उत्सर्जन की कड़ी निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन का मानना है कि बिना इन कड़े कदमों के प्रदूषण पर नियंत्रण संभव नहीं है।
किन सेवाओं को GRAP-3 में छूट मिली
हालांकि, जरूरी सेवाओं और परियोजनाओं को GRAP-3 में सशर्त छूट दी गई है। मेट्रो, रेलवे, हवाई अड्डे, राष्ट्रीय राजमार्ग, स्वास्थ्य सेवाएं और स्वच्छता से जुड़ी परियोजनाएं जारी रहेंगी। विकलांग व्यक्तियों के लिए विशेष वाहनों को भी अनुमति दी गई है। इसके साथ ही कक्षा 5 तक के छात्रों के लिए हाइब्रिड पढ़ाई और सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देने के निर्देश दिए गए हैं।
AQI के आंकड़े और जमीनी हालात
शनिवार सुबह दिल्ली में घनी धुंध की मोटी चादर छाई रही, जिससे दृश्यता बेहद कम हो गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, राजधानी के 21 निगरानी स्टेशनों पर AQI 400 से अधिक दर्ज किया गया। वजीरपुर में AQI 445, विवेक विहार में 444, जहांगीरपुरी में 442, आनंद विहार में 439 और अशोक विहार व रोहिणी में 437 रिकॉर्ड किया गया। नरेला, पटपड़गंज, मुंडका, बवाना, आईटीओ और नेहरू नगर जैसे इलाकों में भी AQI 429 से 432 के बीच दर्ज हुआ।
प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के पीछे कई कारण एक साथ जिम्मेदार हैं। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से उठने वाला धुआं हवा के जरिए दिल्ली-NCR में जमा हो जाता है। इसके अलावा कम हवा की रफ्तार, वाहनों की बढ़ती संख्या, लगातार चल रहे निर्माण कार्य और औद्योगिक गतिविधियां स्थिति को और गंभीर बना रही हैं। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि क्लाइमेट चेंज के कारण मौसम का पैटर्न बदल रहा है, जिससे प्रदूषण लंबे समय तक बना रहता है।
स्वास्थ्य पर असर और जरूरी सलाह
डॉक्टरों के मुताबिक, इतनी जहरीली हवा से सांस की बीमारियां, आंखों में जलन, खांसी, अस्थमा और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों को घर में रहने, मास्क पहनने और अनावश्यक बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जा रही है।
सख्ती जरूरी, सहयोग भी
दिल्ली में प्रदूषण अब सिर्फ पर्यावरण की समस्या नहीं, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है। GRAP-3 जैसे सख्त कदम फिलहाल जरूरी हैं, लेकिन लंबे समय के समाधान के लिए सरकार, प्रशासन और आम नागरिकों को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी।
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