Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर मंगलवार सुबह दमघोंटू धुंध की चादर में लिपटा नजर आया। राजधानी दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 461 दर्ज किया गया, जो सीधे ‘गंभीर (Severe)’ श्रेणी में आता है।
नोएडा का AQI 441, जबकि गाज़ियाबाद का 448 पहुंच गया — दोनों ही बेहद खतरनाक स्तर।
गुरुग्राम ने भी राहत नहीं दी, जहां AQI 352 रिकॉर्ड किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रखा गया है।
NCR के बाहर भी बिगड़े हालात
प्रदूषण की स्थिति सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं है।
- मेरठ में AQI 417 रहा
- लखनऊ 326 पर दर्ज हुआ
- देहरादून में AQI 152 रहा — बाकी शहरों की तुलना में बेहतर, लेकिन फिर भी ‘मध्यम’ श्रेणी में
विशेषज्ञों का कहना है कि इतने उच्च स्तर का प्रदूषण स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और दमा या फेफड़े की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए।
50% कर्मचारी अब घर से काम करेंगे
वायु प्रदूषण की भयावह स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत राजधानी के सभी सरकारी और निजी कार्यालयों को निर्देश दिया गया है कि वे 50% कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दें।
बाकी 50% स्टाफ ऑफिस आएगा, जिससे सड़कों पर वाहनों की संख्या कम होगी और प्रदूषण के स्तर में गिरावट लाने में मदद मिलेगी।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि
- दफ्तरों में कर्मचारियों की मौजूदगी आधी रखी जाए
- अनावश्यक मूवमेंट रोका जाए
- वाहन उपयोग को सीमित किया जाए
सरकार का मानना है कि यह कदम हवा में जहरीले तत्वों की मात्रा कम करने में प्रभावी साबित हो सकता है।
प्रदूषण इतना क्यों बढ़ रहा है? मुख्य वजहें –
विशेषज्ञों ने दिल्ली-NCR में प्रदूषण के बढ़ने के कई प्रमुख कारण बताए—
- पराली जलना – पंजाब-हरियाणा से हवा के साथ धुआं NCR में प्रवेश कर रहा है।
- कम हवा की गति – हवा नहीं चलने से प्रदूषक जमीन के पास जमा हो जाते हैं।
- ठंड का बढ़ना – तापमान गिरने से हवा भारी हो जाती है और प्रदूषण फैल नहीं पाता।
- वाहनों का बढ़ता उत्सर्जन
- निर्माण गतिविधियाँ और सड़क की धूल
इन सभी कारणों का संयुक्त प्रभाव दिल्ली-NCR की हवा को बेहद जहरीला बना रहा है।
स्वास्थ्य पर गंभीर असर
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि इस स्तर का प्रदूषण—
- फेफड़ों की क्षमता को कम करता है
- दिल की बीमारियों को बढ़ाता है
- दमा, ब्रोंकाइटिस के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक
- बच्चों और बुजुर्गों के लिए जानलेवा तक साबित हो सकता है
लंबे समय तक इस हवा में रहने से क्रॉनिक बीमारियाँ, यहाँ तक कि फेफड़े के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों की क्या सलाह है?
लोगों को अपनी दिनचर्या में तुरंत सावधानी बरतनी चाहिए—
- बिना जरूरत बाहर न निकलें
- बाहर जाना पड़े तो N95 मास्क पहनें
- घर में HEPA फ़िल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें
- बच्चों और बुजुर्गों को अधिकतम समय घर में रखें
- सुबह-शाम की वॉक बिल्कुल टालें
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