उत्तर प्रदेश के कई शहरों में अब बाढ़ का असर विकराल रूप लेता नजर आ रहा जा रहा है। भारी बारिश और नेपाल से छोड़े गए पानी के बाद के बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, बाराबंकी के करीब 250 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। वहीं, लखीमपुर खीरी के 150, शाहजहांपुर के 30, बदायूं के 70, बरेली के 70 और पीलीभीत के करीब 222 गांव की बड़ी आबादी बाढ़ के पानी से घिरी हुई है। पूर्वांचल के बलिया में भी बाढ़ की स्थिति के चलते कुछ घर बहने की खबर भी सामने आई है।
बता दें कि शाहजहांपुर में गर्रा नदी की बाढ़ का पानी दूसरे दिन शुक्रवार 12 जुलाई को भी दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर रहने के कारण कार-बाइक व अन्य छोटे वाहनों का संचालन बंद रखा गया।
वहीं, बाढ़ के कारण रोडवेज बसें भी नहीं चलीं। मुरादाबाद- लखनऊ के बीच नए 22 कॉशन तय करके ट्रेनों को भी धीमी गति से गुजारा जा रहा है।
शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में बाढ़ का पानी भरने के बाद मरीजों को आसपास के जिन अस्पतालों में शिफ्ट किया गया था, उनमें भी पानी भरने के बाद समस्या आ रही है।
वहीं शहर के बाहरी हिस्से में बसी आवास विकास कॉलोनी समेत अन्य निचले इलाकों से करीब 10 हजार लोगों ने पलायन किया है। एनडीआरएफ की टीम ने 225 लोगों को बचाया।
बाढ़ से एसएस कॉलेज के पुस्तकालय में रखीं सैकड़ों साल पुरानी पांडुलिपियां नष्ट हो गई हैं। खीरी, शाहजहांपुर और बरेली में बाढ़ ने छह और लोगों की जान ले ली।
गुरूवार करीब 11 बजे हाईवे पर बाढ़ का पानी आने के बाद वाहनों का संचालन रोक दिया गया था। दोपहर 3 बजे से केवल भारी वाहनों को धीमी गति से जाने की अनुमति दी गई थी।
रात में पानी का बहाव तेज होने के बाद स्थिति और खराब हो गई। बरेली मोड़ से बंधरा तक तीन से चार फुट पानी रहने के कारण शुक्रवार 12 जुलाई को भी छोटे वाहनों का संचालन शुरू नहीं किया गया।