MNREGA Name Change: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम बदलने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव ने सियासी हलचल तेज कर दी है। संसद में पेश किए जाने वाले नए विधेयक को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सीधे सवाल किया है कि आखिर महात्मा गांधी का नाम इस योजना से क्यों हटाया जा रहा है और इसके पीछे सरकार की मंशा क्या है।
क्या है ‘विकसित भारत जी राम जी’ बिल
सरकार मनरेगा का नाम बदलकर ‘विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ रखने की तैयारी में है। इस नाम को संक्षेप में VB-G RAM G, यानी ‘विकसित भारत जी राम जी’ कहा जा रहा है। सरकार का तर्क है कि यह बदलाव ‘विकसित भारत 2047’ के विजन के अनुरूप है और इससे ग्रामीण रोजगार योजना को नई दिशा मिलेगी।
प्रियंका गांधी के तीखे सवाल
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने संसद परिसर में मीडिया से बातचीत में कहा कि किसी भी योजना का नाम बदलने से प्रशासनिक स्तर पर बड़े पैमाने पर खर्च होता है। नई स्टेशनरी, बोर्ड, दस्तावेज और प्रक्रियाओं पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। उन्होंने सवाल किया कि नाम बदलने से आम जनता को क्या फायदा होगा? जब योजना ठीक से चल रही है, तो महात्मा गांधी का नाम हटाने की जरूरत क्यों महसूस हुई?
“समय और पैसा दोनों बर्बाद हो रहे”
प्रियंका गांधी ने कहा कि महात्मा गांधी केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सम्मानित नेता हैं। उनके नाम को हटाने का उद्देश्य समझ से परे है। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद में जनता से जुड़े असली मुद्दों पर चर्चा के बजाय ऐसे विषयों पर समय बर्बाद किया जा रहा है, जिनसे आम लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं होता।
तृणमूल और वाम दलों का विरोध
मनरेगा के नाम बदलने को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने भी सरकार पर हमला बोला है। राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इसे महात्मा गांधी का अपमान बताया। वहीं, वाम दलों ने आरोप लगाया कि सरकार नाम बदलने की आड़ में योजना के मूल अधिकार-आधारित ढांचे को कमजोर कर रही है। सीपीआईएम महासचिव एमए बेबी ने दावा किया कि इससे ग्रामीण संकट और गहराएगा।
मनरेगा में प्रस्तावित बड़े बदलाव
सरकार ने नाम परिवर्तन के साथ-साथ योजना में कुछ संरचनात्मक बदलावों का भी प्रस्ताव रखा है। नए मॉडल के तहत गारंटीयुक्त काम के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा मजदूरी का भुगतान 7 से 15 दिनों के भीतर अनिवार्य होगा। देरी होने पर बेरोजगारी भत्ता देने की व्यवस्था भी प्रस्तावित है। कार्यों को जल संरक्षण, ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका अवसंरचना और आपदा प्रबंधन जैसी श्रेणियों में बांटा जाएगा।
सरकार की दलील क्या है
ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि बीते 20 वर्षों में ग्रामीण भारत की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों में बड़ा बदलाव आया है। ऐसे में योजना को नए सिरे से सशक्त और आधुनिक बनाने की जरूरत है। सरकार का दावा है कि यह बदलाव रोजगार सृजन को अधिक प्रभावी और समयबद्ध बनाएगा।
प्रदूषण पर भी कांग्रेस का हमला
मनरेगा के साथ-साथ कांग्रेस ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा है। जयराम रमेश ने GRAP को नाकाफी बताते हुए कहा कि सरकार संकट प्रबंधन पर तो ध्यान दे रही है, लेकिन संकट की जड़ पर वार नहीं कर रही। उन्होंने वायु प्रदूषण से जुड़ी मौतों पर सरकारी आंकड़ों की कमी को असंवेदनशील करार दिया।
मनरेगा का नाम बदलने का मुद्दा केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और वैचारिक बहस का विषय बन गया है। जहां सरकार इसे ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य से जोड़ रही है, वहीं विपक्ष इसे महात्मा गांधी की विरासत से दूरी बताकर विरोध कर रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा
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