Nag Panchami Festival: श्रावण मास की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला नाग पंचमी का त्योहार देशभर में पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस दिन लोगों ने नाग देवता की विशेष पूजा कर अपने परिवार की रक्षा और समृद्धि की कामना की। घरों में नाग की आकृति बनाकर परंपरागत तरीके से उनकी आरती और पूजा की गई।
शिवालयों में उमड़े भक्त, किया शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक
इस शुभ दिन पर शिव मंदिरों में भारी भीड़ देखने को मिली। भक्तों ने शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र चढ़ाकर भगवान शिव और नाग देवता का आशीर्वाद मांगा। श्रद्धालु इस दिन को विशेष रूप से नाग देवता को प्रसन्न करने का अवसर मानते हैं, क्योंकि वे भगवान शिव के गले में निवास करते हैं।
खेत की मिट्टी से जुड़ी परंपरा का पालन
नाग पंचमी की एक खास मान्यता के अनुसार, कई लोग खेत से मिट्टी लाकर अपने घरों में रखते हैं। यह विश्वास है कि जहां नाग देवता की पूजा की गई हो, वहां की मिट्टी को घर लाने से सांपों का भय दूर रहता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
भुर्जिया बोने की परंपरा निभाई गई
लोगों ने शिव मंदिरों के समीप स्थित खेतों से मिट्टी लाकर उसमें भुर्जिया (बीज या अनाज) बोए। यह धार्मिक परंपरा समृद्धि और संतुलन का प्रतीक मानी जाती है। इससे यह संदेश मिलता है कि इंसान को प्रकृति और सभी जीवों के साथ सामंजस्य बनाए रखना चाहिए।
श्रावण मास में नाग पंचमी का महत्व
श्रावण माह में आने वाली नाग पंचमी का धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष स्थान है। इस दिन की गई पूजा से न केवल नाग दोष और कालसर्प योग जैसे ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
पूजा के समय और विधि का विशेष ध्यान
भक्तों ने शुभ मुहूर्त में नाग देवता की पूजा की, जिसमें दूध, फूल, हल्दी, कुशा, दूब आदि का प्रयोग किया गया। कई श्रद्धालु व्रत रखकर दिनभर उपवास करते हैं और संध्या को पूजा कर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
नाग पंचमी-परंपरा और प्रकृति की पूजा का पर्व
नाग पंचमी सिर्फ पूजा-पाठ का दिन नहीं है, यह प्रकृति, परंपरा और पर्यावरण संतुलन का संदेश भी देता है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सभी जीवों के साथ मिलकर जीना ही वास्तविक धर्म है। सांप जैसे जीवों की पूजा कर हम उनके अस्तित्व को सम्मान देते हैं।
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