श्रीलंका सरकार के एक फैसले ने भारत की चिंता को बढ़ा दी है। बता दें कि श्रीलंका ने विदेशी अनुसंधान जहाजों के आगमन पर अगले साल यानी 2025 से प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया है। जापान की मीडिया में आई खबर से यह जानकारी मिली है। उच्च प्रौद्योगिकी वाले चीनी जासूसी जहाजों द्वारा श्रीलंकाई बंदरगाह पर लंगर डालने संबंधी बार-बार के अनुरोध के बाद जताया गया सुरक्षा चिंताओं के बाद यह प्रतिबंध लगाया गया था।
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अगले साल से शुरु हो जायेगी जहाजों की जासूसी
प्रतिबंध हटाने के निर्णय की जानकारी श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने ‘एनएचके वर्ल्ड जापान’ को दी। हिंद महासागर में चीनी अनुसंधान जहाजों की बढ़ती आवाजाही पर नयी दिल्ली ने चिंता व्यक्त करते हुए इनके जासूसी जहाज होने का अंदेशा जताया था और कोलंबो से आग्रह किया था कि वह ऐसे जहाजों को अपने बंदरगाहों पर न आने दे।
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भारत के कहने के बाद ही…
भारत द्वारा चिंता जताए जाने के बाद श्रीलंका ने जनवरी में अपने बंदरगाह पर विदेशी अनुसंधान जहाजों के लंगर डालने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस साल की शुरुआत में एक चीनी जहाज के लिए हालांकि छूट दी गई थी। एनएचके वर्ल्ड जापान की 5 जुलाई शुक्रवार की एक रिपोर्ट के अनुसार, साबरी ने कहा कि उनकी सरकार अलग-अलग देशों के लिए अलग-अलग नियम नहीं बना सकती। उन्होंने कहा कि उनका देश दूसरों के बीच विवाद में किसी का पक्ष नहीं लेगा।
यह प्रतिबंध अगले साल जनवरी तक है। साबरी ने कहा कि श्रीलंका अपने बंदरगाहों पर विदेशी अनुसंधान जहाजों के लंगर डालने पर अगले साल से प्रतिबंध नहीं लगाएगा। दो चीनी जासूसी जहाजों को श्रीलंका के बंदरगाहों पर लंगर डालने की अनुमति दी गई थी।
चीनी अनुसंधान जहाज शियान 6 अक्टूबर 2023 में श्रीलंका पहुंचा और कोलंबो बंदरगाह पर रुका था। इसके आगमन से पहले अमेरिका ने श्रीलंका के समक्ष चिंता व्यक्त की थी। अगस्त 2022 में चीनी नौसेना का पोत युआन वांग 5 दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचा था।


