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UP News : यूपी में तोड़फोड़ पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा बयान, सरकार से घरों के पुनर्निर्माण का दिया आदेश

by | Mar 7, 2025 | अपना यूपी, आपका जिला, ट्रेंडिंग, बड़ी खबर, मुख्य खबरें

UP News : प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद की बेनामी संपत्तियों के नाम पर कई लोगों के घरों पर प्रशासन द्वारा बुलडोजर चलाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की कड़ी आलोचना की है। अदालत ने बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए इन घरों को तोड़ने को गलत संकेत मानते हुए इस पर अपनी चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि तोड़ी गई संपत्तियों का पुनर्निर्माण किया जाए, हालांकि अदालत ने इसके लिए कोई आदेश नहीं दिया।

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि प्रशासन द्वारा इस तरह की कार्रवाई किसी भी स्थिति में उचित नहीं हो सकती और इसे ठीक करने की आवश्यकता है। पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस प्रकार की कार्रवाई से एक गलत संदेश जाता है। याचिकाकर्ताओं में शामिल थे प्रोफेसर अली अहमद, अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर और दो महिलाएं, जिन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि प्रशासन ने बिना किसी कानूनी नोटिस या प्रक्रिया के इन घरों को तोड़ा। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनके घर एक ही भूखंड पर स्थित थे, और उन पर यह कार्रवाई तब की गई जब उन्हें पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया था। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने इन आरोपों पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की कड़ी आलोचना की और कहा कि प्रशासन का यह तरीका बिल्कुल गलत है।

यूपी सरकार (UP News) की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने इस तोड़फोड़ को बचाव में कहा कि याचिकाकर्ताओं की संपत्तियों पर नोटिस पहले से दिया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह मामले को हाईकोर्ट में भेजने का कोई कारण नहीं है। पीठ ने यह भी कहा कि तोड़फोड़ किए गए घरों का पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए, और यदि प्रशासन विरोध करना चाहता है, तो हलफनामा दाखिल किया जाए। इसके अलावा, पीठ ने यह भी कहा कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार चाहती है, तो नोटिस देकर निर्माण करवा सकती है, लेकिन यह तरीका “कम शर्मनाक” होगा।

सुप्रीम कोर्ट (UP News) ने इस मामले को गंभीरता से लिया और कहा कि यह अनुच्छेद 21 और आश्रय के अधिकार का उल्लंघन करता है। जस्टिस ओका ने कहा कि राज्य इतना कठोर कदम उठा रहा है, जबकि इसमें एक वकील और एक प्रोफेसर जैसे सम्मानित व्यक्ति शामिल हैं। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें इस तरह के तकनीकी आधारों से निपटना आता है और उन्होंने यूपी सरकार को चेतावनी दी कि वे किसी भी प्रकार की अवैध कार्रवाई से बचें।

याचिकाकर्ताओं के वकील अभिमन्यु भंडारी ने कोर्ट को बताया कि प्रशासन ने उन लोगों की संपत्ति को गैंगस्टर अतीक अहमद की बेनामी संपत्ति मान लिया था, जो 2023 में पुलिस कस्टडी में मारे गए थे। अतीक अहमद की कथित संपत्ति के नाम पर हुई कार्रवाई ने इस पूरे मामले को और भी जटिल बना दिया है।

याचिकाकर्ताओं (UP News) का आरोप है कि मार्च 2021 में शनिवार रात को उन्हें नोटिस दिए गए और अगले दिन रविवार को ही घरों को तोड़ दिया गया। इस तेजी से की गई कार्रवाई ने प्रशासन के खिलाफ सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करते हुए प्रशासन से जवाब मांगा है कि इतनी जल्दबाजी में क्यों और कैसे यह कार्रवाई की गई।

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