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Bahraich News: गन्ने के खेत में छुपा है खतरा, बहराइच में तेंदुए और बाघों की मौजूदगी से दहशत

by | May 27, 2025 | अपना यूपी, ट्रेंडिंग, बड़ी खबर, मुख्य खबरें

Bahraich News: कतर्नियाघाट वन्यजीव क्षेत्र में अब जंगल की तस्वीर तेजी से बदल रही है। जहां पहले तेंदुए और बाघ केवल घने जंगलों के बाशिंदे माने जाते थे, वहीं अब ये शिकारी जानवर खेतों की ओर रुख कर चुके हैं। खासकर तेंदुए अब जंगल छोड़कर गन्ने के खेतों को अपना नया घर बना चुके हैं। वन विभाग इन खेतों में रहने वाले तेंदुओं को अब ‘केन तेंदुआ’ की संज्ञा दे रहा है।

वन्यजीवों के प्राकृतिक व्यवहार में हो रहे छोटे-छोटे परिवर्तन अब बड़े बदलाव का संकेत दे रहे हैं। (Bahraich) कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में इन बदलावों की तस्वीर साफ दिख रही है। जहां पहले एक बाघ का जोड़ा लगभग 10 किलोमीटर की टेरिटरी में अकेले विचरण करता था, वहीं हाल ही में किए गए एक अध्ययन से यह तथ्य सामने आया है कि अब मात्र 18 किलोमीटर के दायरे में करीब आठ बाघ रह रहे हैं। इसका मतलब है कि अब बाघ भी अपना इलाका एक-दूसरे के साथ साझा करने लगे हैं।

बाघों के साथ-साथ तेंदुओं के व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। कुछ तेंदुए अब जंगल छोड़कर गन्ने के खेतों को अपना स्थायी ठिकाना बना चुके हैं, जबकि कुछ अभी भी पारंपरिक जंगलों में रहना पसंद करते हैं। वन विभाग के अनुसार, गन्ने के खेतों में रहने वाले तेंदुओं की संख्या करीब 100 है। वहीं जंगल में रहने वाले तेंदुए 125 से 150 के बीच हैं। यानी तेंदुओं की आबादी अब दो भागों में बंट गई है—एक जो खेतों में रहते हैं और दूसरे जो जंगलों में।

तेंदुआ एक ऐसा मांसाहारी जानवर है जो बकरी, कुत्ते, मुर्गी से लेकर चूहे तक का शिकार कर सकता है। गन्ने के खेतों के आसपास बसे गांवों में हो रहे जानवरों के हमलों में मुख्य रूप से खेतों में रहने वाले यही केन तेंदुए शामिल हैं। इनकी वजह से मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि (Bahraich) जंगलों का सिकुड़ना और इंसानी आबादी का बढ़ता दखल अब वन्यजीवों को अपने पारंपरिक आवास छोड़ने पर मजबूर कर रहा है। गन्ने के खेत तेंदुओं को एक सुरक्षित स्थान प्रतीत हो रहे हैं, जहां शिकार भी आसानी से मिल जाता है और छिपने की जगह भी। लेकिन इंसानों के नजदीक आना तेंदुओं और मानव के बीच टकराव को बढ़ा रहा है, जो चिंता का विषय है।

कतर्नियाघाट वन प्रभाग के डीएफओ बी शिवशंकर का कहना है कि वन विभाग इन परिस्थितियों पर लगातार नजर बनाए हुए है। ग्रामीणों को सतर्क और जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं, ताकि किसी भी संभावित खतरे से समय रहते निपटा जा सके।

वर्षघायल लोगमृतक
2022–235817
2023–245806
2024–255713
2025–260501
कुल17837

#bahraich

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