Shubhanshu Shukla News: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में 18 दिन बिताने के बाद सफलतापूर्वक धरती पर वापसी की है। वे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और स्पेसएक्स के एक विशेष मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर गए थे। उनका यान ड्रैगन, सोमवार शाम करीब 4:30 बजे (भारतीय समय) आईएसएस से अलग हुआ और बाद में प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया के पास सुरक्षित तरीके से उतरा।
शुभांशु और उनके चार अन्य सहयोगी अंतरिक्ष यात्रियों ने 6 मिलियन मील से अधिक की दूरी तय की। इस 20 दिन के मिशन में उन्होंने 18 दिन अंतरिक्ष में रहकर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग किए और शेष समय यात्रा में लगा।
शुभांशु शुक्ला की वापसी के बाद क्या हुआ?
रिकवरी की प्रक्रिया
- स्पेसक्राफ्ट के समुद्र में लैंड होते ही उसे साफ किया गया।
- यान का हैच खोला गया, और सभी अंतरिक्ष यात्रियों को लगभग एक घंटे में बाहर निकाला गया।
- इसके बाद वे एक रिकवरी शिप पर पहुंचे, जहां डॉक्टरों की टीम ने प्रारंभिक जांच की।
- फिर उन्हें हेलीकॉप्टर के ज़रिए मेडिकल केंद्र भेजा गया, जहां उनका विस्तृत स्वास्थ्य परीक्षण हुआ।
रिहेबिलिटेशन क्यों होता है ज़रूरी?
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण शरीर की मांसपेशियां और हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं:
- धरती पर लौटते ही यात्रियों को शारीरिक वजन महसूस होने लगता है।
- उन्हें चलने-फिरने में कठिनाई होती है।
- इसलिए उन्हें करीब एक सप्ताह रिहेबिलिटेशन में रखा जाता है ताकि वे दोबारा धरती की परिस्थितियों के अनुकूल हो सकें।
इस मिशन की मुख्य बातें
- भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का पहला अंतरिक्ष अभियान
- अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 18 दिन का प्रवास
- 6 मिलियन मील से अधिक की यात्रा
- कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक परीक्षण और प्रयोग
- प्रशांत महासागर में सुरक्षित वापसी
- मेडिकल जांच और रिहेबिलिटेशन प्रक्रिया से गुज़रे
भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नया अध्याय
शुभांशु शुक्ला की यह उपलब्धि भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह मिशन न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को दर्शाता है, बल्कि भविष्य में होने वाले मानव अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है। शुभांशु की यह सफलता आने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रास्ता दिखाएगी और भारत को अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में और मजबूत करेगी।
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