Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में आज एक नया इतिहास रच गया, जब दो दशकों बाद उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे एक साथ एक मंच पर नजर आए। ‘आवाज मराठीचा’ (मराठी की आवाज़) नामक यह विशेष कार्यक्रम शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
यह पहला मौका है जब 2005 के बाद दोनों ठाकरे भाइयों ने किसी मंच को साझा किया है। यह मंच न सिर्फ मराठी अस्मिता के लिए एकजुटता का प्रतीक बना, बल्कि एक बार फिर से यह दिखा दिया कि महाराष्ट्र में क्षेत्रीय और भाषाई पहचान आज भी सबसे बड़ा मुद्दा है।
हिंदी को लेकर विवादित निर्णय बना एकता की वजह
हाल ही में महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महायुति सरकार द्वारा प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के फैसले के खिलाफ जबरदस्त विरोध हुआ। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों ने इस फैसले का मुखर विरोध किया था। सरकार ने बाद में इस नीति को वापस ले लिया, जिसे दोनों नेताओं ने मराठी भाषा और अस्मिता की “जीत” के तौर पर पेश किया।
राज ठाकरे का तीखा प्रहार, “हमें हल्के में न लें”
रैली को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा, “जो काम बाल ठाकरे नहीं कर सके, जो कई अन्य नेता नहीं कर सके, वह देवेंद्र फडणवीस ने कर दिया। आज अगर हम दोनों भाई एक साथ हैं तो इसकी वजह वही हैं।” उन्होंने साफ कहा कि एक के पास विधान भवन की शक्ति है, तो दूसरे के पास सड़क की ताकत।
राज ठाकरे ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, “हमें हल्के में लेने की कोशिश कोई न करे। बार-बार हमें अलग करने की कोशिशें हो रही हैं। हिंदी बोलने वाले यहां रोजगार के लिए आते हैं क्योंकि उनके राज्यों की आर्थिक स्थिति कमजोर है। हमें हिंदी से नफरत नहीं, लेकिन किसी भी भाषा को जबरदस्ती थोपना हमें मंजूर नहीं।”
“मुंबई महाराष्ट्र से अलग नहीं है” – राज ठाकरे
राज ठाकरे ने अपने भाषण में मराठी अस्मिता की बात करते हुए कहा, “मुंबई कभी महाराष्ट्र से अलग नहीं हो सकती। मराठों की महानता का लंबा इतिहास रहा है। हमें अगर कोई चुनौती देता है, तो वह सिर्फ भाषा या संस्कृति की नहीं, पूरे राज्य की अस्मिता की चुनौती होती है।”
उन्होंने कहा कि आज हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ते हैं, तो मराठी भाषा पर सवाल उठाए जाते हैं। “लालकृष्ण आडवाणी मिशनरी स्कूल में पढ़े, तो क्या उनके हिंदुत्व पर सवाल खड़े किए जाएं?” — राज ठाकरे ने यह बयान देते हुए साफ किया कि शिक्षा के माध्यम से किसी की पहचान या विचारधारा को मापा नहीं जा सकता।
“मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश”
राज ठाकरे ने रैली के मंच से सीधे आरोप लगाया कि कुछ ताकतें मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश कर रही हैं। उन्होंने कहा, “हिंदी को थोपने की कोशिश इसी एजेंडे का हिस्सा है। लेकिन हम कभी भी यह बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह महाराष्ट्र की मिट्टी और मराठी भाषा का अपमान है।”
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