Mumbai Monorail News: मंगलवार को मुंबई में मूसलधार बारिश के बीच मोनो रेल की एक ट्रेन चेंबूर और भक्ति पार्क के बीच बिजली कटने से अचानक रुक गई। इस संकट में 800 से अधिक यात्री हवा में लटकी ट्रेन में फंस गए। बिजली जाने के कारण ट्रेन अंधेरे में डूब गई, जिससे घुटन और बेचैनी का माहौल बन गया। यात्रियों को घबराहट, डर और सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ा, और स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई।
ट्रेन की पावर सप्लाई हुई बंद
भारतीय रेलवे की हार्बर लाइन बंद होने के चलते मोनोरेल में यात्री संख्या बढ़ गई, जिससे ट्रेन का वजन 109 मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो कि इसके निर्धारित वजन 104 मीट्रिक टन से 5 टन अधिक था। इस अतिरिक्त भार के कारण पावर रेल और करंट कलेक्टर के बीच संपर्क टूट गया, जिसके परिणामस्वरूप ट्रेन की पावर सप्लाई बंद हो गई और ट्रेन रुक गई।
नजदीकी अस्पतालों को किया अलर्ट
घटना की गंभीरता को देखते हुए राहत कार्य में तेजी लाने के लिए क्रेन का सहारा लिया गया। बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) के अनुसार, करीब 150 यात्री ट्रेन में फंसे हुए थे, जबकि यात्रियों ने बताया कि ट्रेन में 500 तक लोग थे। राहत कार्य जारी है, जिसमें चार फायर इंजन और BEST बसें यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए तैनात की गई हैं। साथ ही, चिकित्सा टीमें मौके पर मौजूद हैं और नजदीकी अस्पतालों को अलर्ट किया गया है।
“घटना की जांच होगी” – महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हालात पर जानकारी साझा की। फडणवीस ने कहा कि सभी एजेंसियां मौके पर मौजूद हैं और यात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि घटना की जांच होगी और भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए कदम उठाए जाएंगे।
बार-बार तकनीकी गड़बड़ी?
बता दें कि मुंबई मोनोरेल में समस्या की खबर पहली बार नहीं मिली है। ऐसा पहले भी बहुत बार हो चुका है। लगभग 6 साल पहले 2019 और 2015 में भी ऐसी तकनीकी खामियों की सुचना मिली थी, सिस्टम में लगातार समस्याएं बनी हुई है। जिससे ये तो साफ है कि मुंबई के ट्रांसपोर्ट नेटवर्क में कमियां तो है, इतनी आधुनिक तकनीक होने के बाद भी बुनियादी ऑपरेशन की खामियां दूर नहीं हो पाई हैं।
मानसिक तनाव में यात्री
राहत कार्य धीमी गति से चल रहा था, क्योंकि केवल दो यात्री एक बार में क्रेन के जरिए बाहर निकाले जा सकते थे। मोनोरेल के अंदर यात्री अत्यधिक घबराहट और तनाव का सामना कर रहे थे। अंधेरे और घुटन के बीच, उन्हें सांस लेने में भी समस्या हो रही थी। कई यात्री घबराकर रोने लगे थे और कुछ को तो चक्कर आने लगे थे। विशेष रूप से बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह स्थिति और भी भयावह हो गई थी।
इन कठिनाई का करना पड़ा सामना
जैसे-जैसे राहत कार्य चल रहा था, यात्रियों पर मानसिक दबाव बढ़ता गया। यह घटना न केवल एक तकनीकी विफलता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि मुंबई के परिवहन नेटवर्क में आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयारियों की भारी कमी है। यात्रियों को आधुनिक तकनीक के बावजूद ऐसे दर्दनाक अनुभवों का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा।
इस हादसे ने यह साफ किया कि मुंबई में ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बुनियादी कमियों को दूर करना आवश्यक है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर तैयारी, प्रभावी आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाओं और तकनीकी सुधार की जरूरत है, ताकि भविष्य में यात्रियों को इस तरह के तनावपूर्ण और डरावने अनुभवों से बचाया जा सके।
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