UP News : उत्तर प्रदेश पुलिस की एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने एक संगठित अवैध धर्मांतरण गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए इसके कथित मास्टरमाइंड जलालुद्दीन उर्फ चंगुर बाबा और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसीरीन को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी बलरामपुर जिले के मधुपुर गांव के निवासी हैं।
जलालुद्दीन के खिलाफ पहले से ही गैर-जमानती वारंट जारी था, और उसकी गिरफ्तारी पर ₹50,000 का इनाम घोषित किया गया था। गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों को अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया गया और फिर लखनऊ जिला जेल भेज दिया गया।
यह मामला लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दर्ज है, जिसमें भारतीय दंड संहिता और उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है। आरोप है कि ये लोग एक संगठित योजना के तहत हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम समुदायों के लोगों का इस्लाम में धर्मांतरण करवा रहे थे।
आधिकारिक बयान के अनुसार, गरीब मजदूरों, विधवाओं और समाज के कमजोर वर्गों को लालच, वित्तीय सहायता, विवाह के झांसे या धमकी देकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया। यह सब धर्मांतरण की कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए किया गया।
100 करोड़ की विदेशी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) अमिताभ यश ने बताया कि आरोपी एक विस्तृत नेटवर्क चला रहे थे, जिसमें विशेष रूप से हिंदू लड़कियों को निशाना बनाकर कथित ‘जाति आधारित दरों’ पर धर्मांतरण कराया जा रहा था। उन्होंने यह भी बताया कि इस पूरे नेटवर्क को करीब ₹100 करोड़ की विदेशी फंडिंग मिली, जो इस्लामी देशों से आने की आशंका है।
जांच में सामने आया है कि यह धनराशि कई फर्जी नामों से खोले गए 40 से अधिक बैंक खातों के माध्यम से लेन-देन में प्रयोग की गई, जिससे बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) की पुष्टि होती है। इस फंड से लक्ज़री प्रॉपर्टी, बंगले, शोरूम और महंगी गाड़ियां खरीदी गईं।
इस गिरोह से जुड़े दो अन्य आरोपी—नवीन उर्फ जमालुद्दीन और महबूब (जलालुद्दीन का बेटा)—को पहले ही अप्रैल माह में गिरफ्तार किया जा चुका है। वे भी बलरामपुर के निवासी हैं और इस समय लखनऊ जिला जेल में बंद हैं।
राजनैतिक महत्वाकांक्षाएं और स्थानीय नेटवर्क
सूत्रों के अनुसार, चंगुर बाबा पहले रत्नों के व्यापार से जुड़ा था और मुंबई में एक सिंधी दंपत्ति से संपर्क में आने के बाद उसकी हैसियत बढ़ी। इसके बाद उसने स्थानीय राजनीति में भी कदम रखा और ग्राम प्रधान व जिला पंचायत सदस्य के चुनाव लड़े।
उसके करीबी सहयोगी मर्कंडेय मिश्रा ने खुलासा किया कि बाबा ने हिंदू लड़कियों के लिए धर्मांतरण की पूर्व निर्धारित दरें तय कर रखी थीं और उसने अपने निवास व मज़ार को इसका केंद्र बना रखा था। वहीं, एक अन्य सहयोगी मोहम्मद अहमद खान—जिसे बाबा का “दायाँ हाथ” कहा जाता है—ने उसकी अवैध संपत्तियों की देखरेख की। खान पर बलरामपुर, अंबेडकर नगर और लखनऊ में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।
ATS के सूत्रों ने यह भी जानकारी दी कि इस विदेशी फंड से पुणे में एक बड़ी संपत्ति भी खरीदी गई। मामले की आर्थिक कड़ियों और राजनीतिक संबंधों की गहन जांच जारी है।
इस बीच, बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने इस पूरे प्रकरण को वोट बैंक की राजनीति से जोड़ते हुए सवाल उठाया कि क्या जलालुद्दीन और नसीरीन (पूर्व में नुसरत) को भारत और नेपाल में हिंदुओं का धर्मांतरण कराने के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये मिले थे?
ATS अब इस मामले में विदेशी कनेक्शन, राजनीतिक संरक्षण और देशविरोधी गतिविधियों से जुड़े पहलुओं की तह तक पहुँचने की कोशिश में जुटी है।
यह हमारी इंटर्न सुनिधि सिंह द्वारा लिखी गयी है।
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