Afzal Ansari : इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अफजाल अंसारी का दावा है कि गाजीपुर में भाजपा उम्मीदवार पारसनाथ राय नहीं, बल्कि मनोज सिन्हा चुनाव लड़ रहे हैं। अंसारी के अनुसार, गाजीपुर में हर कोई यह जानता है। उनका कहना है कि पारसनाथ सिन्हा के सहायक मात्र हैं। अपनी बेटी के चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह सीख रही है और उन्होंने उसे अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है।
मुख्तार अंसारी के इर्द-गिर्द केंद्रित थे चुनाव
हां, हमने उनकी बदौलत कई चुनाव जीते हैं। लेकिन लोग यह क्यों नहीं मानते कि मैं मुख्तार से दस साल बड़ा हूं? जब मैं विधायक बना, तब मुख्तार शॉर्ट्स पहने हुए थे। पूरी दुनिया के सामने मुख्तार को माफिया करार दिया गया। चुनाव जनता लड़ती है, लेकिन मुख्तार की ताकत को अक्सर मतदाताओं के फैसले के तौर पर बताया जाता है।
क्या आप मानते हैं कि वोटिंग जाति और धर्म से परे होनी चाहिए?
अगर भाजपा पूरी तरह विचारधारा के आधार पर चुनाव लड़ती, तो उसे दस से भी कम सीटें मिलतीं। जोड़-तोड़ करके जीतना अलग बात है। सोनेलाल पटेल संगठनात्मक क्षमताओं वाले एक महत्वपूर्ण नेता थे। उन्होंने अपना दल पार्टी बनाई। भाजपा ने तब उन्हें जातिवादी नेता करार दिया। अब उन्होंने उनकी बेटी अनुप्रिया और उनके पति को भी मंत्री बना दिया है और उनसे अपने समुदाय के लोगों से वोट मांगने को कहा है। संजय निषाद और राजभर के मामले में भी यही सच है। दारा सिंह चौहान और केशव प्रसाद मौर्य को जनता ने नकार दिया, लेकिन उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया।
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सपा समेत विपक्ष भी जाति के आधार पर बनाता है गठबंधन ?
कांशीराम ने कहा था कि जनसंख्या में व्यक्ति की हिस्सेदारी के अनुपात में प्रतिनिधित्व होना चाहिए। अखिलेश यादव जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं और ओ.पी. राजभर भी इस नीति का समर्थन करते हैं। अखिलेश ने पिछड़े वर्ग, दलित और अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा में लाने के लिए पीडीए का गठन किया। उन्होंने राज्यसभा चुनाव में ऊंची जातियों को टिकट देकर उनका भी ख्याल रखा।
PM ने में गाजीपुर में रैली की, क्या आपने उनका भाषण सुना?
अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) ने कहा- मैंने हर शब्द सुना। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक वे जीवित हैं, वे एससी/एसटी आरक्षण को खत्म नहीं होने देंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को तेज बुखार होने पर वे बड़बड़ाने लगते हैं। माता-पिता को चिंता होती है कि कहीं बच्चा किसी जादू के प्रभाव में तो नहीं है। प्रधानमंत्री की भी यही स्थिति है।
लेकिन अब वे उनके आगे झुक रहे हैं अखिलेश यादव – PM
अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) कृपया प्रधानमंत्री से पूछें कि क्या उन्हें चुनाव प्रचार के लिए बृजेश सिंह की जरूरत है। बिना पैरोल के सुरेश ठाकुर को इलाज के नाम पर प्रचार के लिए लाया गया। वे संत हैं या शंकराचार्य? अगर मोदी मंच से बृजेश सिंह और सुरेश ठाकुर को संत बताते हैं तो यह अलग बात है।
आपकी बेटी ने भी नामांकन दाखिल किया है। कोई खास वजह?
सभी के पास डमी उम्मीदवार होते हैं। वह समाज सेवा में रुचि रखती है। अगर मनोज सिन्हा के बेटे को चुनाव लड़ने का अधिकार है तो अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) की बेटी को क्यों नहीं? वह राजनीति कर सकती है।
आपकी बेटी चुनाव लड़ती है तो किसे ज्यादा वोट मिलेंगे?
मनोज सिन्हा से पूछिए कि अगर उनका बेटा उनकी जगह चुनाव लड़ता है तो किसे ज्यादा वोट मिलेंगे। वह मेरी बेटी है और मैंने उसे अपना वारिस घोषित कर दिया है। जब भी मैं राजनीति से अलग होता हूं या किसी साजिश के चलते ऐसा करने के लिए मजबूर होता हूं तो मेरी बेटी में वह गुण होते हैं जो वह संभाल लेती है।
पारसनाथ राय कितने चुनौतीपूर्ण लगते हैं पारसनाथ राय?
पारसनाथ राय चुनाव लड़ रहे हैं या मनोज सिन्हा? मनोज सिन्हा ही चुनाव लड़ रहे हैं। गाजीपुर में सभी जानते हैं कि पारसनाथ उनके सहायक हैं। दो राज्य के मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री नामांकन दाखिल करने आ रहे हैं। फैसला जनता को करना है। 4 जून को आप देखेंगे कि वे कहते हैं कि मुख्तार ने कब्र से अपनी ताकत दिखाई। मनोज सिन्हा संजय शेरपुरिया से अपने संबंध बताएं, जिसे ईडी और एसटीएफ मास्टर फ्रॉड कहते हैं। शेरपुरिया के पैसे से ही मनोज सिन्हा का 2019 का चुनाव प्रचार हुआ था।