नोएडा के मशहूर निठारी कांड में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को निठारी कांड में दोषी करार दिए गए दोनों को ही अब सभी मामलों से बरी कर दिया है.आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में और मनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में हुई फांसी की सजा को रद्द कर दिया है.जिसके चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा को भी रद्द कर दिया है. इसके बाद हाईकोर्ट ने इन दोनों आरोपियों को इन मामलों से बरी कर दिया|
बताते चलें कि हाईकोर्ट ने दो दोषियों की 14 अपीलों पर फैसला सुनाया हैं। वहीं सुरेंद्र कोली ने 12 मामलों में हुई फांसी की सजा के खिलाफ अपील दाखिल की थी, जबकि मनिंदर सिंह पंढेर ने दो मामलों में हुई सजा के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी।
किस आधार पर किया बरी
दरअसल हाईकोर्ट ने दोषियों को सीधे तौर पर कोई सबूत और गवाह नहीं होने के कारण बरी कर दिया. जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से सीबीआई को बड़ा झटका लगा हैं . यहां तक कि रिंपा हलदर के मर्डर केस में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोहली की फांसी की सजा को बरकरार रखा था, जिसमें इन्हीं सबूतों के आधार पर रिंपा हलदर के मर्डर केस में दोनों को फांसी की सजा मिली थी.
क्या था निठारी कांड
दरअसल 7 मई 2006 को निठारी में रहने वाली एक युवती अचानक गायब हो गई,जिसके बाद उसके पिता ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज दर्ज कराई,जिसके बाद पुलिस हरकत में आई और 29 दिसम्बर 2006 को इनकी कोठी का पता खंगाला, बाद में पता चला की मनिंदर सिंह पंढेर ने नौकरी देने के बहाने युवती को बुलाया था, पुलिस को कोठी के पीछे 19 बच्चियों और महिलाओं के कंकाल मिले और मामला सीबीआई को सौंप दिया गया | जिसके चलते
गाजियाबा सीबीआई कोर्ट ने दोनों को दोषी करार दिया,बताते चलें की इस मामले में सुरेन्द्र कोली को 14 बार फांसी की सजा सुनाई जा चुकी थी,सुरेन्द्र कोली 2003 में मनिन्दर पंढेर के सम्पर्क में आया था
बता दें की कई दिनों तक चली बहस के बाद हाईकोर्ट ने ये बड़ा फैसला सुनाया हैं जिसके बाद जाहिर है कि ये मामला भी आरुषि मामले की तरह ही अब पहेली बनकर रह जाएगा क्योंकि निठारी का पूरा सच क्या है इस पर एक बार फिर से पर्दा पड़ गया है।