Ayodhya : राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास महाराज को गुरुवार (13 फरवरी) को सरयू नदी में जल समाधि दी गई। उनकी अंतिम यात्रा में भारी भीड़ उमड़ी, और यह यात्रा उनके निवास स्थान राम गोपाल मंदिर से निकाली गई। श्रद्धालुओं की अधिक संख्या को देखते हुए यात्रा को राम मंदिर के सामने से नहीं निकाला गया।
आचार्य सत्येंद्र दास का पार्थिव शरीर पालकी में लता मंगेशकर चौक होते हुए सरयू घाट तक लाया गया, जहां उन्हें जल समाधि दी गई। गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे उनका पार्थिव शरीर रथ पर रखा गया, जिसके बाद जय श्री राम और राम नाम सत्य है के उद्घोष के साथ अंतिम यात्रा शुरू हुई। श्रद्धालुओं ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पवर्षा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
सरयू घाट के किनारे हजारों की संख्या में भक्त और श्रद्धालु आचार्य जी के अंतिम दर्शन के लिए खड़े थे। अंतिम यात्रा में जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, निर्वाणी अनी अखाड़ा के पूर्व श्री महंत धर्मदास, विधायक वेद गुप्ता, महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, वशिष्ठ भवन के महंत राघवेश दास समेत देशभर से आए साधु-संत और भक्त शामिल हुए। राम मंदिर आंदोलन में आचार्य सत्येंद्र दास का बड़ा योगदान था।
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आचार्य सत्येंद्र दास 1992 से राम मंदिर के मुख्य पुजारी थे। जब रामलला टेंट में थे, तब भी वे मंदिर की पूजा-अर्चना कर रहे थे। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस के समय उन्होंने रामलला को गोद में लेकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। बीते 32 वर्षों से वे रामजन्मभूमि में अपनी सेवाएं दे रहे थे। मंत्री सतीश शर्मा ने कहा कि आचार्य सत्येंद्र दास का देहावसान बहुत दुखद है और उनका योगदान अमूल्य था।
उनके शिष्य महंत रामनारायण ने बताया कि रामानंदी संप्रदाय में जल समाधि की परंपरा होती है, और इसी प्रक्रिया के तहत आचार्य जी को समाधि दी गई। ट्रस्ट के सदस्य गोपाल ने भी कहा कि आचार्य जी की सेवाएं राम मंदिर आंदोलन और तीर्थ क्षेत्र के लिए अविस्मरणीय रहेंगी। आचार्य सत्येंद्र दास का निधन बुधवार (12 फरवरी) को लखनऊ के SGPGI अस्पताल में हुआ। उन्हें 3 फरवरी को ब्रेन हैमरेज के कारण भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान सुबह लगभग 7 बजे उनका निधन हो गया।