Kanpur News : कानपुर कमिश्नरेट के साद थाने के अंतर्गत चौकी पर तैनात पुलिस अधिकारियों को करीब चार साल बाद राहत की सांस मिली है। पिछले 3 साल 11 महीने से वे चौकी में ताबूत के अंदर रखे कंकाल की मौजूदगी से परेशान थे। अपने डर के बावजूद वे अपनी ड्यूटी पर डटे रहे, क्योंकि उनकी सरकारी नौकरी में स्थिरता थी। स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि स्थानीय लोग शाम ढलने के बाद चौकी पर जाने से कतराने लगे।
यहां तक कि पुलिस अधिकारी भी चौकी में रहने के बजाय रात में फील्ड में ड्यूटी करना पसंद करते थे। यह कष्ट करीब 47 महीने पहले 30 सितंबर 2020 को शुरू हुआ था, जब पुलिस को साद थाना क्षेत्र के बीटा बुजुर्ग गांव के पास जंगल में एक संदिग्ध आत्महत्या की सूचना मिली थी। मौके पर पहुंचने पर उन्हें एक बुरी तरह सड़ी-गली लाश मिली, जिससे उसकी पहचान करना असंभव हो गया था। काफी प्रयासों के बाद भी शव की पहचान नहीं हो पाई, इसलिए डीएनए सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया, जबकि शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया।
ताबूत पहुंचने के बाद चौकी में भय का माहौल
कुछ दिनों बाद पोस्टमार्टम गृह में जगह की कमी के कारण कंकाल को पुलिस को सौंप दिया गया। अब शव की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस पर आ गई। ज्यादा कुछ न कर पाने के कारण अधिकारियों ने कंकाल को ताबूत में रखकर चौकी पर रख दिया। ताबूत की मौजूदगी ने अधिकारियों में भय पैदा कर दिया। जल्द ही स्थानीय लोगों में यह बात फैल गई और लोग अपने डर के कारण अंधेरा होने के बाद चौकी पर जाने से कतराने लगे।
लगभग 4 साल बाद कंकाल को दफनाया
पुलिस अधिकारियों की बेचैनी को देखते हुए थाना प्रभारी इंस्पेक्टर केपी सिंह ने मामले को उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाया। (Kanpur News) वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर कार्रवाई करते हुए आखिरकार कंकाल को रिंद नदी के किनारे दफना दिया गया। इससे साद पुलिस अधिकारियों की लंबे समय से चली आ रही परेशानी समाप्त हो गई है, तथा चौकी में व्याप्त भय लगभग चार वर्षों के बाद अंततः दूर हो गया है।
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