Law & Order : उत्तर प्रदेश में राज्य स्तर पर संगठित अपराध को लक्षित करने के लिए चल रहे एक ऑपरेशन में कुल 68 पहचाने गए माफिया और उनके गिरोह के सदस्यों को उनके आर्थिक साम्राज्य को खत्म करने के लिए लगातार प्रदेश का प्रशासन एक्शन ले रहा है। नवंबर 2019 से पांच नवंबर 2023 तक 36.76 अरब रुपये की यो तो संपत्ति जब्त की गई या नष्ट की गई यो फिर अवैध कब्जे से वापस ली गई है। कानून एवं व्यवस्था के विशेष डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि चिह्नित माफिया और उनके गिरोह के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की कानून प्रवर्तन विभाग द्वारा सावधानीपूर्वक निगरानी की जा रही है। यह अभियान निष्पक्षता एवं निष्पक्षता के साथ व्यापक स्तर पर चलाया जा रहा है।
माफियाओं को पहुंचा बड़ी चोट
इस अभियान के दौरान 1188 अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए 692 मुकदमे दर्ज किए गए, जिसमें 573 की गिरफ्तारी की गई। इसमें 243 के विरुद्ध गुंडा एक्ट, 717 के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट, 18 के विरुद्ध एनएसए, 350 के विरुद्ध सीआरपीसी की धारा 110 जी, 92 गैंग पंजीकरण, 415 की हिस्ट्रीशीट खोलने, 348 लाइसेंसी शस्त्र के विरुद्ध कार्रवाई तथा 85 के विरुद्ध जिला बदर की कार्रवाई की गई। विशेष डीजीपी कुमार के अनुसार माफिया संचालन पर कार्रवाई के साथ-साथ उनके अवैध व्यवसायों और संरक्षण रैकेटों को बंद करने से माफिया गिरोह को 1,425 करोड़ से अधिक का वार्षिक नुकसान हुआ है।
अपराध बर्दाशत नहीं
विशेष पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था ने बताया कि कुल 47 मामलों में 63 आरोपी माफिया और उनके गिरोह के सदस्यों को आजीवन कारावास, कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई गई है। विशेष रूप से बिजनौर में माफिया से जुड़े मुनीर और उसके साथी रैयान को मौत की सजा दी गई है। उत्तर प्रदेश में कानून प्रवर्तन का यह अथक प्रयास संगठित अपराध समूहों के प्रभाव और आर्थिक शक्ति को खत्म करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिससे एक मजबूत संदेश जाता है कि राज्य अवैध गतिविधियों और संगठित अपराधों को बर्दाश्त नहीं करेगा।
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