Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव के बीच कुछ समय से ये अटकले लगाई जा रही थी कि राहुल गांधी अमेठी के चुनावी रण की कमान नहीं संभालेंगे। साथ ही ये भी सुनने में आ रहा था की प्रियंका गांधी भी रायबरेली से चुनाव का मोर्चा संभालने के तैयार नहीं है। सूत्रों द्वारा मिली जानकारी किए अनुसार प्रियंका गांधी देशभर में चुनावी प्रचार प्रसार में लगी हुई है वही राहुल गांधी का कहना है कि वह केवल वायनाड से ही चुनाव लड़ना चाहते है।
हाल ही में कुछ अटकलें लगाई जा रही थीं कि राहुल गांधी एक बार फिर अमेठी से चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि प्रियंका गांधी को उनकी मां सोनिया गांधी की रायबरेली सीट से मैदान में उतारा जा सकता है। इस आशय का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश कांग्रेस द्वारा भी भेजा गया था। इस मामले पर कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक में भी चर्चा हुई। पार्टी नेतृत्व ने राहुल गांधी को अमेठी और प्रियंका गांधी को रायबरेली से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, दोनों नेताओं ने इन सीटों से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।
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2019 में राहुल गांधी ने यहां से लड़ा था चुनाव
2019 के लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Election ) में राहुल गांधी ने केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के अमेठी से चुनाव लड़ा था, जबकि सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। अमेठी में राहुल को भाजपा की स्मृति ईरानी से कड़ी टक्कर मिली थी, लेकिन आखिरकार वह सीट हार गए थे।
वहीं रायबरेली से सोनिया गांधी ने आसानी से जीत दर्ज की थी। इस बार सोनिया गांधी राजस्थान से राज्यसभा सदस्य चुनी गई हैं। इसलिए पिछले काफी समय से प्रियंका गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं। हालांकि प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने अमेठी में अपनी दावेदारी जताई है।
हाल ही में हरिद्वार दौरे के दौरान उनसे पूछा गया कि क्या वह अमेठी से चुनाव लड़ेंगे। इसके जवाब में उन्होंने कहा “पूरे देश में यह आवाज उठ रही है कि मुझे सक्रिय राजनीति में आना चाहिए, क्योंकि मैं हमेशा लोगों के बीच रहा हूं। 1999 से मैं चुनाव प्रचार के लिए वहां जाता रहा हूं। हमने वहां से सोनिया गांधी को जीत दिलाई। लोग हमेशा चाहते हैं कि मैं उनके इलाके में मौजूद रहूं।” चूंकि राहुल और प्रियंका गांधी अपनी पारंपरिक सीटों से चुनाव लड़ने से पीछे हट रहे हैं, यह कांग्रेस के चुनावी दृष्टिकोण में एक रणनीतिक बदलाव का संकेत है, जिसमें व्यापक अभियान प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और संभवतः प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों के लिए एक नया चेहरा पेश किया जाएगा।


