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Maha Kumbh 2025 : अपनी मॉर्डन लाइफ स्टाइल छोड़कर बने सन्यासी, कौन है ये नागा संत दिगंबर कृष्ण गिरि

by | Jan 9, 2025 | अपना यूपी, ट्रेंडिंग, प्रयागराज, बड़ी खबर, मुख्य खबरें

Maha Kumbh 2025 : प्रयागराज महाकुंभ में हजारों नागा संन्यासियों का जमावड़ा है, लेकिन निरंजनी अखाड़े के नागा संत दिगंबर कृष्ण गिरि इस भीड़ से बिल्कुल अलग नजर आते हैं। वह अखाड़े के बाहर सड़क किनारे एक छोटे से तंबू में साधना करते हुए दिखते हैं, लेकिन जब वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं तो सुनने वाले दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं। दरअसल, दिगंबर कृष्ण गिरि सिर्फ एक साधक ही नहीं, बल्कि एक एम टेक इंजीनियर भी हैं, जो कर्नाटक यूनिवर्सिटी के टॉपर रहे हैं।

दिगंबर कृष्ण गिरि की जिंदगी में एक मोड़ तब आया, जब उन्होंने पंद्रह साल पहले हरिद्वार में नागा साधुओं के वैभव और आध्यात्मिकता से प्रभावित होकर अपने करियर को अलविदा कह दिया। कर्नाटक यूनिवर्सिटी से एम टेक करने वाले दिगंबर कृष्ण गिरि ने बड़ी कंपनियों में काम किया था और साल 2010 में उन्हें 40 लाख रुपये का सालाना पैकेज मिला था। यानी, हर महीने करीब साढ़े तीन लाख रुपये की तनख्वाह मिलती थी, लेकिन उन्हें शांति और सुकून की तलाश थी।

2010 में जब हरिद्वार में कुंभ मेला हो रहा था, तब दिगंबर कृष्ण गिरि को एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में वहां जाने का मौका मिला। इस दौरान वह नागा संन्यासियों की साधना और उनके धर्म के प्रति समर्पण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने आरामदायक जीवन को त्यागकर सनातन को समर्पित करने का निर्णय लिया। इसके बाद उन्होंने निरंजनी अखाड़े के नागा संन्यासियों के बीच कुछ समय बिताया और फिर खुद भी सब कुछ छोड़कर जीते जी अपना पिंडदान करते हुए संन्यास की दीक्षा ले ली।

दिगंबर कृष्ण गिरि महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) में निरंजनी अखाड़े के साथ ही कई अन्य अखाड़ों की पेशवाई में भी शामिल हो चुके हैं। उन्होंने जहां अपना डेरा डाला है, वहां हर समय धूनी जमी रहती है, और धूनी में भगवान भोलेनाथ का त्रिशूल हमेशा गड़ा रहता है। दिगंबर कृष्ण गिरि बताते हैं कि नौकरी करते हुए उनके पास सभी सुख-सुविधाएं थीं, पैसों की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उन्हें शांति और सुकून की तलाश थी। सन्यास के बाद भले ही उन्हें साधारण जीवन जीने की चुनौतियां आईं, लेकिन उनकी जिंदगी अब पूरी तरह आनंदित और उल्लासित है। अब उन्हें न तो कुछ पाने की लालसा है और न ही कुछ खोने का गम।

दिगंबर कृष्ण गिरि का कहना है कि परिवार के साथ उनका संबंध अब सोशल मीडिया तक सीमित रह गया है। उन्होंने अपना जीवन पूरी तरह से सनातन की सेवा और उसकी रक्षा के लिए समर्पित कर दिया है। अब उनका समय भगवान भोलेनाथ की आराधना में बीतता है, और वह शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत हैं।

महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) में दिगंबर कृष्ण गिरि साधुओं की भीड़ में एक सामान्य नागा साधु की तरह ही नजर आते हैं। वह अपने पुराने जीवन के बारे में किसी से ज्यादा बात नहीं करते और ना ही उस समय को याद करते हैं। उनका उद्देश्य केवल सनातन धर्म की सेवा करना और उसकी रक्षा करना है, और इसके लिए वह अपने बाकी के जीवन को समर्पित करना चाहते हैं।

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