Mahakumbh : प्रयागराज महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने वालों की संख्या 59 करोड़ तक पहुंच चुकी है। योगी सरकार ने इस पुण्य अवसर से प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को भी जोड़ने का फैसला किया है। प्रयागराज की सेंट्रल नैनी जेल और जिला जेल के हजारों कैदियों को संगम के पावन जल से स्नान करने का अवसर दिया गया, जिससे वे भाव विभोर हो गए। यह पहल आस्था और धार्मिक भावनाओं के सम्मान को ध्यान में रखते हुए की गई, जिससे कैदियों को भी आध्यात्मिक शांति और पुण्य लाभ प्राप्त हो सके।
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या हर रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 59 करोड़ से अधिक लोग संगम में स्नान कर चुके हैं। इसी क्रम में योगी सरकार ने जेलों में बंद कैदियों के लिए भी विशेष व्यवस्था की। प्रदेश की 62 जेलों में त्रिवेणी के पावन जल को पहुंचाकर वहां कैदियों को स्नान कराया गया। इसके लिए जेलों के भीतर बड़े-बड़े हौज बनाए गए, जिनमें संगम से लाया गया जल मिलाया गया।
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प्रयागराज की सेंट्रल नैनी जेल में भी इसी तरह की भव्य व्यवस्था की गई। वरिष्ठ जेल अधीक्षक रंग बहादुर पटेल ने बताया कि जेल में 1700 कैदी हैं, जिनमें से 1400 से अधिक को त्रिवेणी के जल से स्नान कराया गया। शासन के निर्देशानुसार संगम से कलश में पावन जल लाकर जेल में उसका विधिवत पूजन किया गया और फिर उसे कुंड में डालकर कैदियों के स्नान की व्यवस्था की गई। इससे कैदियों को महाकुंभ के पुण्य लाभ में शामिल होने का अवसर मिला।
जिला जेल के बंदियों को भी संगम के जल से स्नान कराने की व्यवस्था की गई। प्रयागराज जिला जेल की वरिष्ठ अधीक्षक अमिता दुबे ने बताया कि जेल में 1300 से अधिक बंदी हैं, जिनमें 1000 से अधिक को संगम के जल से स्नान करने का अवसर दिया गया। संगम से लाए गए जल को पूजन के बाद जेल के अंदर स्नान के लिए उपयोग किया गया, जिससे कैदियों को आध्यात्मिक अनुभूति का अहसास हुआ।
कैदियों ने जेल में ही पुण्य स्नान करने का अवसर पाकर गहरी आस्था प्रकट की। उन्होंने शायद कभी नहीं सोचा था कि जेल में रहते हुए भी महाकुंभ के पावन जल में स्नान का अवसर मिलेगा। योगी सरकार ने कानूनी और सुरक्षा कारणों से जेल के अंदर ही यह व्यवस्था की, जिससे कैदियों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जा सके। जैसे ही कैदियों ने त्रिवेणी के जल से स्नान किया, पूरे जेल परिसर में “हर हर गंगे” के उद्घोष गूंज उठे। वर्तमान में उत्तर प्रदेश की जेलों में लगभग 90 हजार बंदी निरुद्ध हैं, जिन्हें इस पहल से आध्यात्मिक संतोष का अनुभव हुआ।