Moradabad News: मुरादाबाद में आरटीओ विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है, जिसने स्कूली बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और स्कूल की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एडम एंड ईव्स कॉन्वेंट स्कूल की एक बस को आरटीओ अधिकारियों ने बिना किसी ठोस वजह के सड़क पर रोककर जब्त कर लिया, जबकि जांच में बस के सभी कागजात और फिटनेस पूरी तरह वैध पाए गए।
गलत नंबर पर कार्रवाई, सही बस जब्त
घटना के अनुसार, स्कूल की बस (UP21 BN 2462) को आरटीओ अधिकारियों ने एक गलत नंबर (UP21 CN 2462) की ऑनलाइन जानकारी के आधार पर जब्त कर लिया। इस दौरान बस में मौजूद सभी बच्चों और स्टाफ को सड़क पर उतार दिया गया और बस को पुलिस की मदद से आरटीओ कार्यालय भेज दिया गया। बस पर फिटनेस, परमिट और प्रदूषण प्रमाणपत्र पूरी तरह वैध थे, बावजूद इसके अधिकारियों ने ₹32,500 का चालान काट दिया।
आरटीओ अधिकारी ने मानी गलती
मामले की जांच होने पर यह स्पष्ट हो गया कि बस के खिलाफ कार्रवाई पूरी तरह गलत नंबर की गलतफहमी के कारण हुई थी। इसके बाद मुरादाबाद के आरटीओ प्रशासन अधिकारी राजेश कुमार ने इस गलती को स्वीकार किया और यात्री कर अधिकारी (PTO) नरेंद्र छाबड़ा की गलती मानते हुए चालान रद्द कर बस को रिहा कर दिया।
30 बच्चे परीक्षा से वंचित
इस अव्यवस्था का सबसे बड़ा नुकसान उन 30 स्कूली बच्चों को हुआ जो परीक्षा देने स्कूल जा रहे थे। बस के रोके जाने और जब्त होने के कारण न केवल वे परीक्षा में शामिल नहीं हो सके, बल्कि बच्चों और स्टाफ को सड़क पर परेशान भी किया गया। इससे अभिभावकों में भारी नाराजगी फैल गई।
बच्चों और स्टाफ से बदसलूकी का आरोप
स्कूल प्रशासन और प्रत्यक्षदर्शियों ने आरोप लगाया कि आरटीओ टीम ने बच्चों और स्टाफ के साथ बदसलूकी की, उन्हें जबरन बस से नीचे उतार दिया और डर का माहौल बना दिया। कई बच्चे आधे घंटे से ज्यादा समय तक अपने स्टॉप पर खड़े बस का इंतजार करते रहे। कुछ को उनके माता-पिता खुद स्कूल लेकर पहुंचे, जहां उन्होंने स्कूल प्रशासन से तीखे सवाल पूछे कि सभी कागजात होते हुए भी ऐसा कैसे हुआ।
स्कूल प्रशासन और अभिभावकों की मांग
इस घटना की स्कूल प्रबंधन ने कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से प्रशासनिक लापरवाही और उत्पीड़न का मामला है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी अवैध वसूली की कोशिश कर रहे थे। स्कूल ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है।
सवालों के घेरे में संवैधानिक दृष्टिकोण
इस संदर्भ में संविधान के 42वें संशोधन की भी चर्चा हुई, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रस्तावना में ‘समाजवादी, ‘धर्मनिरपेक्ष’, ‘एकता और अखंडता’ जैसे शब्द जोड़े थे। यह संशोधन विपक्षी नेताओं की गैरमौजूदगी में संसद में पारित किया गया था। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने स्पष्ट किया था कि संविधान में बदलाव जरूरी हो सकते हैं, लेकिन वे किसी सरकार के फायदे के लिए नहीं किए जाने चाहिए।
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