निठारी हत्याकांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के द्वारा सुनाए गए फैसले से पीड़ितों के परिजन मायूस हैं। उनका कहना है कि बच्चों को 17 साल बाद भी इंसाफ नहीं मिला। इसलिए वे न्याय हासिल करने के लिए एक रणनीति तैयार करेंगे। हत्याकांड की शिकार महिलाओं, बच्चों, और बच्चियों के ज्यादातर परिजन नोएडा छोड़कर पैतृक गांव वापस चले गए हैं। अब केवल चार लोग नोएडा में रह रहे हैं। निठारी गांव के निवासियों, अशोक मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी करने के आदेश से काफी दुखी हैं।
नोएडा के कुख्यात निठारी कांड में आया था फैसला
अशोक के बेगुनाह बेटे की कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी, जिस पर उन्होंने दांवा हुए कहा कि आरोपी ताकतवर और काफी पैसे वाले हैं, जिसके कारण उनके साथ न्याय नहीं हुआ। निठारी मामले में ही एक लड़की के पिता झब्बू लाल ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से बहुत परेशान हैं, उन्होंने यह कहा कि सुरेंद्र कोली ने पुलिस के सामने बच्चियों की हत्या और बलात्कार की गर्त में खुलासा किया था। पीड़ित पप्पू का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले ने उन्हें बेचैन कर दिया है,साथ ही आगे बताया कि हमारे इंसाफ की जंग जारी रहेगी |
दूसरी ओर रामकिशन की नाबालिग बेटी के साथ भी बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी, ऐसा कहा जा रहा है। इस दौरान पीड़ितों ने बताया कि वे आगे की कार्रवाई के लिए अदालत के आदेश की प्रति का इंतजार कर रहे हैं, और इस मामले में वकील की मदद लेंगे। निठारी कांड के पीड़ितों की लड़ाई को लेकर 85 वर्षीय समाजसेवी सतीश चंद्र मिश्रा ने हाईकोर्ट के फैसले पर आलोचना की है। समाज के लोगों ने मिश्रा को उसके आरोपों पर जवाब देने के लिए प्रेसर डाला है, जिनमें वह सीबीआई को गंभीर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं, और उनका कहना है कि गरीब लोगों के साथ न्याय नहीं हुआ है। सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि सीबीआई ने मामले की जाँच को ठीक तरह से नहीं की है, जिसके चलते मिश्रा सीबीआई से फ़िलहाल बेहद नाराज हैं|
यह भी पढ़ें:-पूर्व सांसद ‘जया प्रदा’ के खिलाफ वारंट जारी, जानें पूरा मामला..
इंसाफ नहीं मिलने पर पीड़ितों के परिजन हुए मायूस
उन्होंने इस दौरान आगे बताया कि किसी भी मामले की सीबीआई जांच नहीं होनी चाहिए. निठारी कांड के पीड़ित परिजन बहुत गरीब हैं.जिनमे से ज्यादातर परिजन बेरोजगार होने के कारण नोएडा छोड़ चुके हैं| इसी बीच मिश्रा ने पीड़ित परिजनों के साथ बैठक कर आगे की रणनीति तय करने की बात भी कही है. गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने कोली और पंढेर को सजा-ए-मौत सुनाई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों को अलग अलग आरोपों से बरी कर दिया है| नोएडा का ये कुख्यात निठारी कांड साल 2005 और 2006 के बीच ही घटित हुआ था|