Noida Cyber Crime: देशभर में लगातार सामने आ रहे डिजिटल अरेस्ट के मामलों की श्रृंखला में अब नोएडा से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस बार साइबर ठगों ने सुप्रीम कोर्ट की 72 वर्षीय सीनियर महिला वकील को अपना निशाना बनाया और लगातार 9 दिनों तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट में रखकर 3.29 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। यह मामला न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि साइबर ठग अब किस तरह हाई-प्रोफाइल लोगों को भी अपने जाल में फंसा रहे हैं।
आधार कार्ड के नाम पर डराया
नोएडा के सेक्टर-47 में रहने वाली पीड़िता ने पुलिस को बताया कि 10 जून को उनके लैंडलाइन नंबर पर एक कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने दावा किया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल कर चार फर्जी बैंक खाते खोले गए हैं। इन खातों का उपयोग हथियारों की अवैध तस्करी, जुए और ब्लैकमेलिंग जैसे गंभीर अपराधों में हो रहा है।
कॉल करने वाले ने कहा कि इस मामले में 27 अप्रैल को केस दर्ज किया गया है और अगर महिला खुद को निर्दोष साबित करना चाहती हैं, तो उन्हें एक नंबर पर संपर्क करना होगा।
वॉट्सऐप पर भेजा अरेस्ट वॉरंट
महिला वकील ने जब बताए गए नंबर पर संपर्क किया, तो उन्हें डराया-धमकाया गया। वॉट्सऐप पर फर्जी अरेस्ट वॉरंट भेजा गया और कहा गया कि उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” किया जा रहा है। इसके बाद उनसे पूरी तरह संपर्क में रहने और निर्देशों का पालन करने को कहा गया।
ठगों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि अगर वो जांच में सहयोग करेंगी और पैसे ट्रांसफर करेंगी, तो उन्हें क्लीन चिट मिल जाएगी और सारी रकम उन्हें लौटा दी जाएगी।
पांच बार में कराए गए करोड़ों रुपये ट्रांसफर
महिला वकील ने ठगों के दबाव में आकर अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) तुड़वाई और पांच बार में आरटीजीएस (RTGS) के जरिए कुल 3.29 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।
जब महिला ने यह बात अपने छोटे बेटे को बताई, तो उसे शक हुआ और उसने तुरंत साइबर थाना पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
ठगों ने खुद को बताया अधिकारी
ठगों ने खुद को अलग-अलग नामों से परिचय दिया। उन्होंने अपने नाम शिव प्रसाद, प्रदीप सावंत और प्रवीण सूद बताए और खुद को सरकारी एजेंसी से जुड़ा अधिकारी बताया।
पुलिस जांच में जुटी
अब पुलिस इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। साइबर थाना पुलिस ने महिला वकील से तमाम तकनीकी साक्ष्य जुटाए हैं, जिनमें कॉल रिकॉर्ड्स, बैंक ट्रांजैक्शन डिटेल्स और वॉट्सऐप चैट शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि यह डिजिटल अरेस्ट का हाई-प्रोफाइल मामला है और इसमें संगठित साइबर गैंग की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।
ये भी देखें: Prayagraj में पुलिस ने चन्द्रशेखर को कौशांबी जाने से रोका, तो क्या कह गए सांसद!