Raja Bhaiya News : कल उत्तर प्रदेश विधानसभा में संभल हिंसा को लेकर जबर्दस्त हलचल देखने को मिली। समाजवादी पार्टी ने इस मामले पर हंगामा किया और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू कर दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मोर्चा संभालते हुए स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे। मुख्यमंत्री के साथ ही यूपी के बाहुबली विधायक और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने भी विधानसभा में अपनी बात रखी, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।
राजा भैया ने विधानसभा में अपनी बात रखते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जब संभल हिंसा पर चर्चा हो रही थी, तो किसी ने भी पथराव और पत्थरबाजों का जिक्र नहीं किया। इसके साथ ही, हिंसा में घायल हुए पुलिसकर्मियों या प्रशासन के अधिकारियों के बारे में भी किसी ने कोई चिंता नहीं जताई।
राजा भैया का कोर्ट के आदेश पर टिप्पणी
राजा भैया ने इस दौरान कहा कि जो सर्वे हो रहा है, वह कोर्ट के आदेश पर हो रहा है। अगर कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया है, तो उसे पलटने का तरीका क्या हो सकता है? उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर किसी को इस आदेश पर आपत्ति है, तो उसे बड़े कोर्ट में जाना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि इस मामले को लेकर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए, खासकर हिंदू समुदाय को। राजा भैया ने स्पष्ट किया कि एक हिंदू होने के नाते अगर कोर्ट किसी मंदिर में सर्वे का आदेश देती है, तो कोई भी हिंदू इसका विरोध नहीं करेगा।
धार्मिक स्थानों पर कोई तोड़-फोड़ नहीं
राजा भैया ने कहा कि हम कभी भी किसी के धार्मिक स्थल को तोड़कर अपने धर्म स्थल नहीं बनाए हैं। अगर कोर्ट सर्वे करने का आदेश देती है, तो उस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हम पथराव या पत्थरबाजी जैसी हिंसक घटनाओं को बढ़ावा नहीं देंगे।
सवाल उठाते हुए राजा भैया ने कहा
राजा भैया ने कहा कि विधानसभा में जितने भी सदस्यों ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखी, किसी ने भी पत्थरबाजी का जिक्र नहीं किया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पथराव करने से कोर्ट का आदेश बदल सकता है? इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि संभल हिंसा में घायल हुए पुलिसकर्मियों या प्रशासन के लोगों के बारे में किसी ने चिंता नहीं जताई। राजा भैया ने इस मुद्दे पर प्रशासन की भूमिका को भी रेखांकित किया और कहा कि शासन-प्रशासन का काम कोर्ट के फैसले को लागू कराना है, न कि उसकी अवहेलना करना।
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