Sambhal Violence : संभल हिंसा के मामले ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है। विपक्षी दलों के नेता हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात करना चाहते हैं, लेकिन प्रशासन ने 10 दिसंबर तक बाहरी लोगों के शहर में प्रवेश पर रोक लगा दी है। पहले समाजवादी पार्टी (सपा) का प्रतिनिधिमंडल रोका गया और अब कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी संभल जाने से रोक दिया गया। इसे लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और अन्य विपक्षी नेताओं ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है।
अखिलेश यादव का हमला
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले में भाजपा सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के शासन में पुलिस का काम केवल लोगों को फंसाना है, न्याय दिलाना नहीं।” उन्होंने प्रशासन पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा, “प्रशासन किसी भी पार्टी के नेता को वहां जाने नहीं दे रहा है। वे क्या छिपाना चाहते हैं? प्रशासन की भाषा और रवैया लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है।”
अखिलेश ने आगे कहा, “संभल की घटना भाजपा सरकार की विफलता का प्रमाण है। पता नहीं वे 10 दिसंबर तक क्या-क्या छिपाएंगे और कितना दबाव बनाएंगे।”
डिंपल यादव का बयान
सपा सांसद डिंपल यादव ने भी घटना को लेकर प्रशासन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “कहीं न कहीं प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है। इसीलिए अब तक स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है। अगर विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवारों से मिलता है, तो सच्चाई सामने आ जाएगी।” उन्होंने भाजपा सरकार पर देरी करने का आरोप लगाते हुए कहा, “जितनी देरी होगी, भाजपा के लिए उतना ही अच्छा होगा।”
कांग्रेस नेताओं को रोके जाने पर विवाद
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के संभल जाने की कोशिश के बाद पुलिस ने उन्हें भी रोक दिया। इसे लेकर कांग्रेस ने प्रशासन और भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन कर रही है और विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।
प्रशासन की सफाई
प्रशासन ने हिंसा के बाद शहर में शांति बनाए रखने और किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधियों से बचने के लिए यह प्रतिबंध लगाया है। संभल के जिलाधिकारी का कहना है कि यह कदम सुरक्षा और कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
विपक्ष का आरोप
विपक्ष का आरोप है कि भाजपा सरकार हिंसा के पीछे की सच्चाई को छिपाना चाहती है। वहीं भाजपा ने इसे राजनीतिक बयानबाजी करार दिया है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि सरकार और प्रशासन कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।