Sambhal : संभल के चंदौसी में बावड़ी की खुदाई का बुधवार को पांचवां दिन है। अब तक 11 फीट गहरी खुदाई हो चुकी है, जिसमें बावड़ी का प्रथम तल नजर आने लगा है। इस तल की फर्श लाल पत्थर से बनी है। बुधवार को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की दो सदस्यीय टीम ने रानी की बावड़ी का प्राथमिक निरीक्षण किया। टीम ने निर्देश दिया कि खुदाई में जेसीबी का इस्तेमाल न हो और प्लॉट पर जेसीबी खड़ी भी न की जाए, ताकि बावड़ी को कोई नुकसान न पहुंचे। निरीक्षण के दौरान बावड़ी के एक गलियारे से दूसरे गलियारे की दूरी 19 मीटर मापी गई।
ASI की टीम के अनुसार, बावड़ी का मौजूदा हिस्सा आधुनिक लगता है क्योंकि इसके प्राचीन हिस्से पर प्लास्टर किया गया है। कुछ जगहों पर प्लास्टर उखड़ा हुआ है, जिससे मूल ईंटें दिखाई देती हैं। इनका निरीक्षण और फोटोग्राफी करने के बाद टीम ने अनुमान लगाया कि यह बावड़ी कम से कम 170 साल पुरानी है। निरीक्षण के दौरान टीम को बावड़ी में 20 से अधिक छोटे-बड़े आले मिले। बाहरी हिस्से में 10 घुमावदार द्वार और खंभों पर नक्काशी मिली, जो 150 साल पुरानी प्रतीत होती है।
बावड़ी की फर्श में लाल पत्थर का उपयोग किया गया है, जिसे टीम ने लगभग 200 साल पुराना माना। निरीक्षण में यह भी पाया गया कि बावड़ी पर कम से कम दो बार आधुनिक निर्माण या अपग्रेडेशन हुआ है। ASI की टीम का यह भी मानना है कि यह बावड़ी दिल्ली की उग्रसेन की बावड़ी से मेल खाती है। खुदाई का कार्य चंदौसी नगरपालिका की टीम और स्थानीय प्रशासन की देखरेख में हो रहा है। उम्मीद है कि गुरुवार तक पहला तल पूरी तरह साफ हो जाएगा, जिसके बाद निचली मंजिल की खुदाई शुरू होगी।