Sitapur Journalist Murder Case: सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड में फरार चल रहे दोनों मुख्य शूटरों को STF ने गुरुवार तड़के एनकाउंटर में मार गिराया। दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम था। एनकाउंटर के बाद जहां पुलिस और प्रशासन इसे बड़ी सफलता बता रहे हैं, वहीं पत्रकार की पत्नी रश्मि बाजपेयी ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि “मेरे सामने एनकाउंटर करने का वादा किया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”
पिसावां इलाके में हुई मुठभेड़
एसपी अंकुर अग्रवाल के मुताबिक, STF और स्थानीय पुलिस को दोनों शूटरों के मूवमेंट की सूचना मिली थी। गुरुवार तड़के पिसावां क्षेत्र में चेकिंग के दौरान दोनों बदमाश बाइक से आते दिखे। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में दोनों को गोली लगी। उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
राजू और संजय: एक ही परिवार से, दो नामों से कुख्यात
मारे गए शूटरों की पहचान राजू तिवारी उर्फ रिज़वान खान और संजय तिवारी उर्फ अकील खान के रूप में हुई है। दोनों सगे भाई थे। इनकी मां मुस्लिम और पिता हिंदू थे, इसी वजह से दोनों के पास दो-दो आधार कार्ड और दो अलग-अलग नाम थे – एक हिंदू और दूसरा मुस्लिम पहचान के साथ।
दोनों के खिलाफ हत्या, लूट और डकैती जैसे गंभीर मामलों में 24 से अधिक मुकदमे दर्ज थे। राजू पर 2006 में लखीमपुर में दरोगा परवेज अली की हत्या का आरोप था, जबकि संजय ने 2011 में सीतापुर में देवी सहाय शुक्ल की गोली मारकर हत्या की थी।
पुजारी की करतूत छुपाने के लिए दी गई थी सुपारी
राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या 8 मार्च को उस वक्त की गई थी जब वे बाइक से जा रहे थे। हाईवे पर उनकी बाइक को रोककर शूटरों ने उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया था। जांच में सामने आया कि हत्या की साजिश कारेदेव बाबा मंदिर के पुजारी शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर ने रची थी।
दरअसल, पत्रकार राघवेंद्र ने पुजारी को मंदिर परिसर में आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था। पुजारी को डर था कि यह बात बाहर न फैल जाए, इसलिए उसने 4 लाख रुपये की सुपारी देकर दोनों भाइयों से हत्या करवा दी। पुलिस अब तक पुजारी समेत तीन आरोपियों को जेल भेज चुकी है।
राजू और संजय के पिता कृष्ण गोपाल त्रिपाठी ने मुस्लिम महिला नज्जो से प्रेम विवाह किया था। कृष्ण गोपाल की पहली पत्नी विमला से उन्हें दो बेटे हुए – अशोक और संजय त्रिपाठी। वहीं, नज्जो से राजू और संजय का जन्म हुआ। पहले विमला की और फिर कृष्ण गोपाल की मृत्यु हो गई। कुछ वर्षों बाद नज्जो का भी निधन हो गया।
“हमें सिर्फ आश्वासन मिले, अब सब खामोश हैं” – रश्मि बाजपेयी
पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की पत्नी रश्मि ने एनकाउंटर के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि “शुरुआत में नेता-मंत्री सब आए, मगर बाद में कोई हमारी सुध लेने तक नहीं आया। बच्चों की हालत कैसी है, ये जानने की कोशिश तक नहीं की गई। शुरू से हमने सीबीआई जांच की मांग की, लेकिन न जाने किस वजह से सरकार इससे पीछे हट गई। अगर सीबीआई जांच होती, तो असली चेहरे सामने आते।”
उन्होंने आगे कहा “हमें वादा किया गया था कि एनकाउंटर मेरी आंखों के सामने और उसी जगह होगा, जहां मेरे पति की हत्या हुई थी। लेकिन बिना बताए ही उन्हें मार दिया गया। ऐसा नहीं होना चाहिए था।”
रश्मि का आरोप है कि जो लोग उनके समर्थन में थे, उन्हें भी प्रताड़ित किया गया। “अब कोई हमारे घर आने की हिम्मत नहीं करता। हम अकेले पड़ गए हैं।”
पुलिस का दावा – “बड़ा अपराधी नेटवर्क खत्म”
पुलिस का मानना है कि राजू और संजय का मारा जाना सीतापुर और आसपास के इलाकों में सक्रिय एक बड़े क्रिमिनल नेटवर्क का खात्मा है। लेकिन परिवार और स्थानीय पत्रकारों के बीच अब भी कई सवाल गूंज रहे हैं – क्या सिर्फ एनकाउंटर से इंसाफ पूरा हो गया?
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