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Uttarakhand Forests Fire : उत्तराखंड में जंगल की आग से निपटने के लिए सरकार की नई रणनीति, NDMA  के साथ अत्याधुनिक तकनीक से होगा काम

by | Apr 13, 2025 | उत्तराखंड, ट्रेंडिंग, बड़ी खबर, मुख्य खबरें

Uttarakhand Forests Fire : उत्तराखंड में जंगलों में आग की घटनाएं हर वर्ष एक गंभीर चुनौती बनकर सामने आती हैं। इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए राज्य सरकार ने अब एक विशेष कार्य योजना तैयार करने का निर्णय लिया है। इस योजना को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राज्य वन विभाग संयुक्त रूप से क्रियान्वित करेंगे।

चमोली, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों को अति संवेदनशील घोषित करते हुए इनके लिए विशेष कार्य योजना बनाई जा रही है। इसके पहले चरण में एनडीएमए और वन विभाग ने मिलकर प्राथमिक परियोजनाओं की रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस योजना में अन्य राज्यों की कार्यप्रणाली का भी अध्ययन किया जा रहा है, जिससे उत्तराखंड के लिए एक प्रभावशाली और व्यावहारिक मॉडल विकसित किया जा सके।

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव डॉ. चंद्रमोहन मोहंत के नेतृत्व में एनडीएमए ने देश के 19 राज्यों में जंगल की आग से संबंधित एक व्यापक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में उत्तराखंड को भी शामिल किया गया है और अति संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की गई है। वन विभाग द्वारा तैयार की जा रही परियोजना रिपोर्ट में राज्य के 21 ऐसे जंगल क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जो अत्यधिक संवेदनशील माने गए हैं। इन क्षेत्रों में होने वाले नुकसान और पूर्व में किए गए प्रयासों का विश्लेषण भी रिपोर्ट में किया जा रहा है।

वन विभाग का उद्देश्य है कि जंगलों में आग की घटनाओं पर समय रहते नियंत्रण पाया जा सके और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को न्यूनतम किया जा सके। इसके लिए एक स्थायी समाधान की दिशा में कार्य किया जा रहा है। अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग पर विशेष बल दिया जा रहा है, ताकि आग लगने की घटनाओं की तुरंत पहचान हो और प्रभावी ढंग से उस पर नियंत्रण पाया जा सके।

राज्य में वर्तमान में 43 कंट्रोल स्टेशनों और मैनुअल कंट्रोल रूम की स्थापना की जा चुकी है, जहां से जंगल क्षेत्रों की निगरानी की जा रही है। अब इन स्टेशनों को और अधिक सशक्त बनाया जाएगा। साथ ही, फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम को और उन्नत बनाया जाएगा।

इस योजना के अंतर्गत ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी और जीआईएस आधारित तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा। इसके अलावा स्थानीय समुदायों को भी इस योजना में भागीदार बनाया जा रहा है, जिससे वे जंगलों की सुरक्षा में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

अपर प्रमुख वन संरक्षक जयराज एवं आपदा प्रबंधन निदेशक परमानंद मिश्रा के अनुसार, मसूरी वन प्रशिक्षण संस्थान में एक कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें राज्य और राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ शामिल हुए। इस कार्यशाला में रायपुर रेंज स्थित मास्टर कंट्रोल रूम और कंट्रोल स्टेशनों का निरीक्षण भी किया गया।

भविष्य में राज्य स्तर पर एक अत्याधुनिक फायर कंट्रोल रूम और कंट्रोल स्टेशन की स्थापना की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड सरकार की यह पहल न केवल राज्य के लिए बल्कि अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए भी एक आदर्श मॉडल साबित हो सकती है।

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