Uttarakhand News : उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित गोविंदघाट पुल एक बार फिर भूस्खलन के कारण ध्वस्त हो गया है। पांच मार्च को हुए भूस्खलन के बाद यह सस्पेंशन ब्रिज (केबलों के सहारे बना पुल) अचानक गिर गया, जिसके चलते गोविंदघाट और दूसरी ओर का संपर्क पूरी तरह कट गया। इस घटना ने प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है, क्योंकि 25 मई से शुरू होने वाली हेमकुंड साहिब यात्रा से पहले इस पुल को फिर से तैयार करना जरूरी हो गया है।
गोविंद घाट पुल का ध्वस्त
भूस्खलन के कारण गोविंदघाट पुल का ध्वस्त होना कोई पहली बार नहीं है। इससे पहले भी इस स्थान पर पुल क्षतिग्रस्त हुआ है, लेकिन इस बार मामला ज्यादा गंभीर है, क्योंकि हेमकुंड साहिब यात्रा की शुरुआत में महज 80 दिन ही बाकी हैं। इस कम समय में एक नया, मजबूत और सुरक्षित पुल बनाना प्रशासन के लिए आसान काम नहीं होगा।
यात्रा में बढ़ सकती हैं मुश्किलें
हर साल लाखों श्रद्धालु हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी की यात्रा पर आते हैं, जो धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। यात्रा शुरू होने से पहले ही प्रशासन इसकी पूरी तैयारी करता है ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। लेकिन अब गोविंदघाट पुल के गिरने से यात्रा की राह में मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
गोविंदघाट पुल (Uttarakhand News) के ध्वस्त होने से हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी की ओर जाने वाला मुख्य मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है। इस मार्ग से पुलना गांव तक वाहन जाते हैं और इसके बाद श्रद्धालु घोड़े, पालकी या पैदल यात्रा के माध्यम से आगे बढ़ते हैं। यदि पुल जल्द नहीं बनता, तो श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर अधिक पैदल चलना पड़ेगा, जिससे यात्रा कठिन हो जाएगी और श्रद्धालुओं को अतिरिक्त कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।
डीएम का बयान
पुल गिरने की जानकारी मिलते ही प्रशासन ने इस पर त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने लोनिवि (लोक निर्माण विभाग) से इस समस्या का समाधान निकालने को कहा है। उन्होंने लोनिवि के अधीक्षण अभियंता को मौके पर भेजा है, जो नए पुल के निर्माण के लिए रिपोर्ट तैयार करेंगे।
डीएम तिवारी का कहना है, “यात्रा शुरू होने में अभी समय है, लेकिन हमें जल्द से जल्द पुल तैयार करना होगा। हम उम्मीद करते हैं कि यात्रा से पहले वैकल्पिक पुल तैयार करके श्रद्धालुओं की सुविधा बहाल कर देंगे। अगर पुल समय पर नहीं बनता, तो यात्रा मार्ग में बदलाव किया जा सकता है। श्रद्धालुओं को गोविंदघाट से पैदल यात्रा करनी होगी, जो कठिन होगा और विशेष रूप से बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।”
स्थानीय व्यापार पर पड़ेगा प्रभाव
गोविंदघाट और आसपास के इलाकों में रहने वाले स्थानीय व्यापारियों और होटल व्यवसायियों के लिए यह पुल बेहद महत्वपूर्ण है। (Uttarakhand News) हर साल हेमकुंड साहिब यात्रा के दौरान हजारों श्रद्धालु इन क्षेत्रों में ठहरते हैं और खरीदारी करते हैं। अगर पुल नहीं बना तो श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आ सकती है, जिससे स्थानीय व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
यात्रा शुरू होने से सिर्फ 80 दिन पहले टूटा पुल
अब यात्रा शुरू होने में सिर्फ 80 दिन बाकी हैं, और इतने कम समय में नया पुल तैयार करना प्रशासन के लिए एक कठिन चुनौती है। प्रशासन को यह जल्द से जल्द तय करना होगा कि किस प्रकार का पुल बनाया जाए और इसके लिए आवश्यक संसाधन कैसे जुटाए जाएं। अभी सभी की नजरें लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि नया पुल किस प्रकार का होगा और उसे पूरा करने में कितना समय लगेगा।
प्रशासन का दृष्टिकोण
प्रशासन का कहना है कि यदि पुल समय पर नहीं बन पाता, तो श्रद्धालुओं को यात्रा में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, प्रशासन ने भरोसा जताया है कि वे जल्द ही पुल निर्माण का समाधान निकाल लेंगे और यात्रा से पहले वैकल्पिक व्यवस्था कर देंगे। अब यह देखना होगा कि प्रशासन कितनी तेजी से काम करता है और क्या यात्रा से पहले पुल तैयार हो पाएगा या नहीं।