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Arvind Kejriwal : क्या जेल से चुनाव लड़ेंगे सीएम अरविंद केजरीवाल ? जानिए वोट न देने के बावजूद कैसे लड़ सकते है चुनाव

by | Apr 26, 2024 | बड़ी खबर, मुख्य खबरें, राजनीति

Arvind Kejriwal : दिल्ली के मुखिया अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले मामले में जेल में बंद हैं और दिल्ली में आगामी 25 मई को वोटिंग होनी है। हालांकि सीएम केजरीवाल को जेल से चुनाव लड़ने की इजाजात तो है पर क्या वो लड़ेंगे या नहीं इस पर संशय बना हुआ है और क्या किस सीट लड़ेंगे इस पर भी अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी सामने आई है। बता दें कि दिल्ली में सात लोकसभा सीटें हैं और सभी पर मतदान 25 मई को ही होना है।

हालांकि दिल्ली के किसी भी सीट से चुनाव लड़ने के लिए 6 मई तक ही प्रत्याशी नामांकन कर सकते हैं और 9 मई तक अपना नाम वापस ले सकते हैं। 6 मई में महज 10 दिन ही बजे हैं और अगर सीएम अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ते हैं तो इसपर संशय आने वाले दिनों में ही क्लीयर हो जाएगा। देखने वाली बात है कि क्या सीएम केजरीवाल जेल से चुनाव लड़ते हैं या नहीं। यहीं पर आपको एक दिलचस्प जानकारी दे दें कि जेल से व्यक्ति चुनाव तो लड़ सकता पर वोट नहीं दे सकता है।

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अब सवाल उठता है कि आखिर जेल में रहते हुए जो वोट नहीं डाल सकता वो आखिर चुनाव कैसे लड़ सकता है। तार्किक तौर पर देखा जाए तो होना भी यही चाहिए। और लगभग डेढ़ दशक पहले तक होता भी यही था। लेकिन आज के 15 साल पहले बिहार के एक कैदी को चुनाव लड़ना था उसने इसकी मंशा भी जाहिर की लेकिन पटना हाई कोर्ट ने इसे नकार दिया और मतदान के अधिकार को एक कानूनी अधिकार माना। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जिसने कानून का उल्लंघन किया हो उसे कानूनी अधिकार नहीं मिलना चाहिए।

 मसलन जिसे वोट ही देने का अधिकार नहीं होगा उसे चुनाव लड़ने का अधिकार कहां से होगा। हाई कोर्ट के इसे फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। हालांकि तत्कालीन यूपीए सरकार ने फिर नियम और कानून में बदलाव किए जिसके बाद कोई भी व्यक्ति जो जेल में है वो चुनाव लड़ सकता है। हालांकि ध्यान देने वाली बात ये है कि जेल में बंद कोई भी व्यक्ति आज भी वोट नहीं डाल सकता है फिर वो चाहे अंडर ट्रायल हो या सजायाफ्ता हो। उसे मतदान करने का अधिकार नहीं है। लेकिन इस प्रावधान में उन्हें छूट मिलती है, जो प्रिवेंटिव डिटेंशन में हों।

मतलब किसी भी वजह से सरकार को शक हो, इसके बाहर रहने से उपद्रव हो सकता है और इसे ही टालने के लिए उसे नजरबंद कर दिया गया हो। ऐसे लोग वोट डाल सकते हैं। इसके लिए उन्हें पुलिस के घेरे में पोलिंग स्टेशन ले जाया जाएगा। या फिर उसे औपचारिक तौर पर स्थानीय प्रशासन को इत्तिला करनी होगी कि वो किस दिन किस समय किस बूथ में जा रहा है ताकि उनपर नजर रखी जा सके।हालांकि जब किसी के पास वोटिंग का अधिकार नहीं है तो उसे चुनाव में खड़े होने का अधिकार कैसे हो सकता है और इसपर कोर्ट्स में अच्छी खासी बहस भी चली।

साथ ही फाइनल ये हुआ कि मान लीजिए किसी को चुनाव लड़ने से रोकना है तो उसके ऊपर एक मुकदमा करवा दीजिए और बस फिर वो चाहें दोषी सिद्ध हो या नहीं आरोपी मात्र होने से ही वो चुनाव लड़ने से वंछित हो गया। और इसी तरह कोई भी किसी को भी चुनाव लड़ने से रोक सकता है। बस इसी को देखते हुए साल 2013 में आरपी एक्ट में संशोधन किया गया और इसमें आरोपियों यो अंडर ट्रायल व्यक्ति को चुनाव लड़ने की छूट दी गई। जिसके बाद कोई भी व्यक्ति जो दोषी नहीं है वो चुनाव लड़ सकता है।

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गौरतलब हो कि ऐसा व्यक्ति स्वयं चुनाव प्रचार तो नहीं कर सकता है पर अपने लोगों और समर्थकों से करवा जरूर सकता है। वोट देने का अधिकार बेल या पेरोल पर बाहर आने वाले व्यक्ति को भी नहीं होता है। किसी भी कैदी को वोट देने का अधिकार केवल तभी मिल सकता है जब वो या तो अपनी सजा पूरी तरह से काट चुका हो या फिर आरोपित व्यक्ति को कोर्ट ने दोषमुक्त करार कर दिया हो। ये थी जेल में रहकर चुनाव लड़ने और मतदान नहीं कर पाने की पूरी कहानी वापस सीएम केजरीवाल पर लौटें तो वो भी वोट नहीं डाल सकते पर चुनाव जरूर लड़ सकते हैं और वो लड़ेंगे या नहीं इसकी तस्वीर भी 6 मई तक पूरी तरह से साफ हो जाएगी।

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