Maharajganj News : उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के हमीदनगर मोहल्ले में सड़क चौड़ीकरण के नाम पर बुलडोजर से एक मकान को गिराए जाने के मामले में अब तक 27 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इनमें तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम), एडीएम, एएसपी और लोक निर्माण विभाग सहित कई अन्य संबंधित अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं।
13 सितंबर 2019 को यह घटना घटी जब मनोज टिबड़ेवाल का पुश्तैनी मकान सड़क चौड़ीकरण के नाम पर बुलडोजर से गिरा दिया गया। मकान मालिक मनोज टिबड़ेवाल ने आरोप लगाया कि उनसे बिना कोई नोटिस दिए उनका मकान गिराया गया, और न ही उनका मकान अधिग्रहण किया गया था। उन्होंने बताया कि मकान गिराए जाने से पहले न तो कोई अतिक्रमण का नोटिस दिया गया था और न ही किसी प्रकार की जानकारी दी गई थी।
पीड़ित को 25 लाख रुपये दे मुआवजा – सुप्रीम कोर्ट
मनोज ने इस मामले की शिकायत सुप्रीम कोर्ट में की थी, और कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया था कि वह पीड़ित को 25 लाख रुपये मुआवजा दे। इस फैसले से न केवल मनोज टिबड़ेवाल को राहत मिली, बल्कि अन्य पीड़ितों को भी न्याय की उम्मीद जगी है।
मकान गिराने की यह कार्रवाई सक्सेना चौक से हनुमानगढ़ी चौराहा तक सड़क चौड़ीकरण निर्माण के नाम पर की गई थी। इस दौरान 123 मकान तोड़े गए थे, लेकिन सड़क निर्माण का काम अब तक अधूरा पड़ा है, जिससे इन सभी प्रभावित लोगों में आक्रोश और निराशा है।
महाराजगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय, एडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल, अपर पुलिस अधीक्षक आशुतोष शुक्ला, नगर पालिका के तत्कालीन अधिशासी अधिकारी राजेश जायसवाल, और लोक निर्माण विभाग के कार्य अधीक्षक मणिकांत अग्रवाल सहित कई अन्य अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
मनोज टिबड़ेवाल ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अपनी शिकायत सुप्रीम कोर्ट तक भेजी थी, और कोर्ट ने यूपी सरकार को पीड़ित को 25 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर देने का आदेश दिया। इस फैसले ने उन लोगों के लिए उम्मीदें जगाई हैं, जो इस तरह के अन्याय का शिकार हुए हैं।
इस मामले में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब तक जो कार्रवाई हुई है, वह पर्याप्त नहीं है, और पूरी जांच की जा रही है। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं।
ये भी देखें : New year पर Maulana Shahabuddin का नया फरमान, “नए साल पर जश्न ना मनाए, यह नाजायज…”